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#MeToo इफेक्ट: BJP के अकबर पर दबाव बढ़ाने के लिए NSUI के फिरोज़ का इस्तीफा?

'मी टू' कैंपेन के तहत कई ऐसे मामले सामने आए हैं जो हर किसी को चौंकाते हैं. इसी बीच कुछ दिनों पहले NSUI प्रेसिडेंट पर लगे आरोपों के बाद अब उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया है.

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फिरोज खान (फाइल फोटो)
फिरोज खान (फाइल फोटो)

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कांग्रेस ने 'मी टू' कैंपेन के घेरे में आए केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर को लेकर मोदी सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए दांव खेला है. कुछ महीने पहले कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI के अध्यक्ष फिरोज़ खान पर यौन उत्पीड़न के आरोप का मामला सुर्खियों में आया था. NSUI से जुड़ी एक युवती की ओर से आरोप लगाए जाने के बाद कांग्रेस हरकत में आई थी.

पार्टी ने आरोपों की जांच के लिए सांसद दीपेंद्र हुड्डा और रागिनी नायक समेत तीन सदस्यीय कमेटी बना दी. कमेटी मामले की अभी जांच ही कर रही थी कि युवती ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी. ये प्रकरण अभी चल ही रहा था कि देश में 'मी टू' कैंपेन ने जोर पकड़ लिया. सूत्रों के मुताबिक, फिरोज़ खान की ओर से यही दलील दी जा रही थी कि वो बेकसूर हैं.

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इस बीच, केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने खुद पर आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो फिरोज खान ने भी अपने मामले को अदालत में ले जाने पर विचार किया.

कांग्रेस ने अकबर को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल खड़ा किया. साथ ही पूछ डाला कि, 'आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ अकबर के अदालत जाने को क्या प्रधानमंत्री की सहमति है? सूत्रों के मुताबिक, ऐसे में जब फिरोज़ ने अदालत जाने की मंशा जताई तो पार्टी ने आनन-फानन में उनको पहले पद छोड़ने को कह दिया. इसके बाद ही फिरोज़ खान ने अपना इस्तीफा भेज दिया और पार्टी द्वारा उसको स्वीकार भी कर लिया गया.

दरअसल, कांग्रेस को डर था कि, अध्यक्ष पद पर रहते हुए फिरोज अदालत जाते तो फिर उल्टा वही सवाल राहुल पर ही उठता, जो वो पीएम मोदी पर खड़ा कर रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी ने बीजेपी, पीएम मोदी और अकबर पर दबाव बढ़ाने के लिए ये कदम उठाया. सूत्रों की मानें तो फिरोज़ अपने वकीलों के संपर्क में हैं और पार्टी की तरफ से अदालत जाने के लिए स्वतंत्र हैं.

इस्तीफे पर बोले मनीष तिवारी- यह पार्टी की परंपरा

फिरोज खान के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा है, 'सवाल परम्परा का है. यूपीए की सरकार थी तो किसी मंत्री या किसी पदाधिकारी पर आरोप लगता था तो वो नैतिक तौर पर इस्तीफा देता था. इसका मतलब ये नहीं कि, वो दोषी हो गया. बाद में बरी भी हुए. ये कांग्रेस की परंपरा है. लेकिन पिछले 52  महीनों में गंभीर आरोपों के बावजूद कोई इस्तीफा नहीं हुआ.'

तिवारी ने कहा, 'NSUI अध्यक्ष ने  नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया है. इसका मतलब ये नहीं कि, वो दोषी हो गए. हां, पार्टी अध्यक्ष ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.'

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