इंडिया टुडे कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए जाने माने लेखक सलमान रुश्दी ने प्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन के निर्वसन के मुद्दे पर अधिकारियों की खूब आलोचना की. बुकर ऑफ बुकर्स पुरस्कार से सम्मानित सलमान रुश्दी दिल्ली में चल रहे 9वें इंडिया टुडे कॉनक्लेव में 'स्वतंत्रता और असंतोष' विषय पर व्याख्यान दे रहे थे.
भारतीय देवी देवताओं की कथित रूप से आपत्तिजनक तस्वीरें बनान के बाद कुछ भारतीय समूहों द्वारा विरोध का सामना कर रहे चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन काफी समय से भारत से बाहर रह रहे हैं और हाल ही में कतर ने उन्हें अपने यहां की नागरिकता दी है.
'मुंबई सभी की है' तथा शिवसेना द्वारा सचिन तेंदुलकर का विरोध किए जाने के मुद्दे पर बोलते हुए रुश्दी ने कहा कि मुंबई का नजरिया कभी भी किसी एक भाषा को लेकर संकीर्ण नहीं रहा है बल्कि मुंबई तो भारतीयता की एक कहानी है और हर कोई इसमें समाहित है.
उन्होंने अपनी किताब 'द सैटनिक वर्सेस' भारत में लगाए गए प्रतिबंध को गलत करार दिया. उन्होंने कहा कि भारत ने उनकी किताब पर सबसे पहले प्रतिबंध लगाया जिससे लगता है कि भारत भी ईरान और पाकिस्तान जैसे देशों की कतार में खड़ा हो गया है जहां बोलने की स्वतंत्रता नहीं है. भारत में अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता की वकालत करते हुए रुश्दी ने कहा कि कृपया भारत को दूसरा पाकिस्तान, ईरान या चीन ना बनने दें.