कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कृषि उत्पादन बढाने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का इस्तेमाल किये जाने की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि यह योजना भारत में दूसरी हरित क्रांति लाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है.
सोनिया ने मनरेगा कानून के लागू होने के सात साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा, ‘मेरा यह मानना है कि मनरेगा में कृषि उत्पादन में बढोत्तरी करने की जबर्दस्त क्षमता है जिसका कि हमने आज की तारीख में पूरी तरह दोहन नहीं किया है. इसमें बहुत सारी संभावनाएं हैं. इसमें न सिर्फ गावों में सामुदायिक संपत्ति के सृजन की प्रचुर संभावना है बल्कि इसमें लघु एवंम मध्यम किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने, भूमि विकसित करने और कृषि को बढावा देने की भी बहुत संभावना है.’
उन्होंने कहा कि कृषि में आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के साथ इस योजना को जोड़ कर किसानों की उपज को गई गुणा बढा़या जा सकता है. इसमें कोई शक नहीं कि दूसरी हरित क्रांति के हमारे सपने को पूरा करने में मनरेगा एक बड़ी भूमिका निभा सकती है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में इस योजना को और ज्यादा कारगर बनाने पर जोर देते हुए बताया कि इस योजना के तहत मंजूर कामों की सूची में 30 नये काम जोड़े गये हैं. इनमें से ज्यादातर का जोर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजी रोटी उपलब्ध कराने पर है.
संप्रग अध्यक्ष ने इस योजना को उचित ढंग से लागू करने की दिशा में आ रही चुनौतियों को स्वीकार करते हुए कहा कि हम अकसर भ्रष्टाचार और योजना के लिए आवंटित धन का गलत तरीके से इस्तेमाल की शिकायतें सुनते हैं. इस पर रोक लगाना बहुत ही जरूरी है.
सोनिया ने कहा कि सरकार सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के आधुनिक साधनों के जरिये इसकी कमियों को कम करने के लिए कदम उठायेगी साथ ही समय पर और नियमों के मुताबिक सोशल आडिट होना जरूरी है. सोनिया ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्तर पर मनरेगा योजना में महिलओं की भागीदारी हालांकि पुरूषों के लगभग बराबर है लेकिन अभी भी कई राज्य हैं जहां या तो सूचना के अभाव या कार्यस्थलों पर सुविधाओं के अभाव के चलते महिलाएं भागीदारी करने में सक्षम नहीं हो रही हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यह जरूरी है कि इन समस्याओं को दूर किया जाए. वामपंथी आतंकवाद से प्रभावित जिलों में यह योजना सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली माध्यम बन गयी है. इन इलाकों में इसे अधिक मजबूती से लागू किए जाने की जरूरत है.’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि लोगों को सीधा आर्थिक फायदा पहुंचाने के अलावा इस योजना ने हमको बहुत से अप्रत्यक्ष लाभ भी दिये हैं. इसकी वजह से मजबूर होकर घर से पलायन करने वालो की संख्या अब कम होती जा रही है. प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में इसके अच्छे नतीजे सामने आने लगे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि मनरेगा कानून से हमारी ग्रामीण आबादी की वित्तीय स्थिति में तेजी आयी है. बैंकों में चार करोड़ से ज्यादा खाते खोले गये हैं और इससे भी ज्यादा डाकघरों में खाते खोले गये हैं. ये खाते हमारी ग्रामीण आबादी को सीधी नगदी अंतरण योजना से भी फायदा पहुंचाने में मदद करेंगे. उन्होंने कहा, ‘इस योजना से जुड़े हुए लोगों के तजुबरें को मैंने ध्यान से सुना. हमें इन अनुभवों से सीख लेते हुए योजना को और बेहतर बनाने की कोशिश जारी रखनी चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘मैं ग्रामीण विकास मंत्रालय से अनुरोध करना चाहूंगा कि वह राज्य सरकारों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करे कि पंचायतों को भरपूर तकनीकी सहायता उपलब्ध करायी जा सके. मैं मंत्रालय से यह भी अनुरोध करना चाहूंगा कि वह अब तक की उपलब्धियों की बुनियाद पर काम करते हुए इस योजना को और प्रभावी बनाने की कोशिश करे.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अलावा सूचना तकनीक का इस्तेमाल भी इस योजना के सिलसिले में कई आधुनिक तरीकों से किया जा रहा है. इससे शासन को बेहतर बनाने और सरकारी काम में पारदर्शिता तथा जवाबदेही बढ़ाने में मदद मिली है और आगे भी इसकी बहुत संभावना है.