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15 राज्यों में मनरेगा से ज्यादा कमाते हैं खेतिहर मजदूर: रिपोर्ट

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 15 राज्यों में मनरेगा के वेतन से न्यूनतम कृषि मजदूरी अधिक है. मनरेगा के अंतर्गत मिलने वाले वेतन को संशोधित करने वाली टीम ने यह जानकारी दी है. मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में सकारात्मक बढ़ोत्तरी करने से लगभग 4,500 करोड़ के बजट की आवशयकता है.

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मनरेगा मजदूरी से अधिक है कृषि मजदूरी
मनरेगा मजदूरी से अधिक है कृषि मजदूरी

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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 15 राज्यों में मनरेगा के वेतन से न्यूनतम कृषि मजदूरी अधिक है. मनरेगा के अंतर्गत मिलने वाले वेतन को संशोधित करने वाली टीम ने यह जानकारी दी है. मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में सकारात्मक बढ़ोतरी करने से लगभग 4,500 करोड़ के बजट की आवश्यकता है.

कमेटी ने अध्ययन में पाया कि कर्नाटक, पंजाब, झारखंड, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, मिजोरम और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कृषि मजदूरों को मिलने वाली मजदूरी मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी से कहीं ज्यादा है. अन्य राज्यों में जहां मनरेगा के मजदूरी को पूरा करने में असफल रहे उसमें सिक्किम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार भी हैं. वहीं राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में मिलने वाली मनरेगा मजदूरी और कृषि मजदूरी में मामूली फर्क है.

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ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि जिन 15 राज्यों में मनरेगा मजदूरी राज्य में मिलने वाली न्यूनतम कृषि मजदूरी से कम है, उसे हम संशोधित कर सके. उसे राज्य में मिलने वाली न्यूनतम कृषि मजदूरी तक कर सके. अगर इस फॉर्मूले पर काम किया जाए तो मनरेगा बजट में 4,500 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी करनी पड़ेगी.

झारखंड के मुख्य सचिव राज बाला वर्मा ने हाल ही में एक पत्र लिख कर इससे जुड़े मामल से अवगत कराया था. उन्होंने पत्र में बताया कि राज्य के द्वारा दिए जाने वाले 224 रुपए, प्रतिदिन की मजदूरी और बढ़ोतरी के बाद भी मनरेगा के तहत दिए जाने वाले 168 रुपये की मजदूरी से कहीं ज्यादा थी.

 

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