असम समझौते की धारा 6 को लागू करने के लिए बुधवार को गृह मंत्रालय की ओर से गठित समिति की नई दिल्ली स्थित नॉर्थ ब्लॉक में बैठक बुलाई गई है. असम भवन में इस समिति के सदस्य प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित करेंगे. मीटिंग सुबह 11 बजे बुलाई गई है. वहीं दोपहर 2 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी.
साल 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में हुए असम समझौते (Assam Accord) की धारा 6 को सही और प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में एक उच्च स्तरीय समिति के गठन का फैसला किया था. यह समिति इसलिए बनाई गई थी क्योंकि असम समझौता जितना प्रभावी तरीके से लागू होना चाहिए था, वैसा नहीं हुआ.
गौरतलब है कि असम में 80 के दशक में बांग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य से बाहर करने के लिए आंदोलन हुए. इसका नेतृत्व अखिल असम छात्र संघ (आसू) और असम गण परिषद ने किया.आंदोलन बढ़ता देख अगस्त 1985 में केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और आंदोलन के नेताओं के बीच 'असम समझौता' हुआ. राजीव गांधी ने अवैध बांग्लादेशियों से निजात दिलाने का वादा किया. इस समझौते में कहा गया था कि 25 मार्च 1971 तक असम में आकर बसे बांग्लादेशियों को नागरिकता दी जाएगी. बाकी लोगों को राज्य से निर्वासित किया जाएगा.
दरअसल असम समझौते की धारा 6 में कहा गया है कि केंद्र सरकार संवैधानिक, वैधानिक और प्रशासनिक स्तर पर असम की संस्कृति, सांस्कृतिक धरोहरों, सामाजिक और भाषाई पहचान की रक्षा करेगी.