केंद्र सरकार ने उन लोगों के पुनर्वास का काम शुरू कर दिया है जो अपने ही घर में 'शरणार्थी' बने हुए हैं. गृह मंत्रालय ने पीएमओ की देख-रेख में इस प्रोजेक्ट पर सरकार बनने के हफ्ते भर के भीतर ही काम शुरू कर दिया है. इस प्रोजेक्ट के तहत न सिर्फ कश्मीरी पंडितों, बल्कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान और पीओके से आने वाले शरणार्थियों के पुनर्वास का काम होगा.
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों में कश्मीरी पंडितों के मसले को उठाया और अपने ही देश में 'बेघर' हुए इन लोगों के पुनर्वास का वादा किया था.
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि ऐसे विस्थापित देश के नागरिक हैं और आम चुनाव में वोट देते हैं लेकिन अपने राज्य से बाहर होने के चलते विधानसभा चुनावों में वोट नहीं डाल पाते हैं. सूत्रों के मुताबिक उन लोगों को भी विस्थापितों में गिना जाएगा जिन्हें अपना घर-बार छोड़ना पड़ा और भारत-पाक जंग की वजह से इनका पुनर्वास नहीं हो सका.
इस प्रोजेक्ट के तहत विस्थापितों की पहचान के साथ उनकी समस्याओं पर गौर किया जाएगा. इसके अवाला राज्य सरकार के सहयोग से उनके पुनर्वास का काम किया जाएगा. एक केंद्रीय मंत्री ने नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया, 'यह अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट होगा जो किसी धर्म या समुदाय पर केंद्रित नहीं होगा. यह चुनाव के दौरान मोदी के मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास' पर आधारित होगा. मंत्री ने कहा, चूंकि कश्मीरी पंडित इस प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा हैं लेकिन यह प्रोजेक्ट केवल उन्हीं को ध्यान में रखकर नहीं बनाया गया है.