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इशरत केस में जांच करेगा गृह मंत्रालय, SC में भी अर्जी दाखिल

पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई के आरोप के बाद गृह मंत्रालय विवादास्पद इशरत जहां मामले से संबंधित फाइलों की जांच करेगा. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर इस केस में फंसे पुलिस अफसरों पर से आपराधिक केस हटाने की मांग की गई है.

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इशरत और उसके सहयोगियों को लश्कर ए तैयबा का आतंकी बताया गया था
इशरत और उसके सहयोगियों को लश्कर ए तैयबा का आतंकी बताया गया था

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पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई के आरोप के बाद गृह मंत्रालय विवादास्पद इशरत जहां मामले से संबंधित फाइलों की जांच करेगा. इसमें देखा जाएगा कि पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हलफनामे को बदल दिया था या नहीं. हलफनामें में इशरत और उसके सहयोगियों को शुरू में लश्कर ए तैयबा का आतंकवादी बताया गया था. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर इस केस में फंसे पुलिस अफसरों पर से आपराधिक केस हटाने की मांग की गई है.

मंत्रालय को अभी तक नहीं मिली है पूरी फाइल
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इशरत जहां मामले से संबंधित फाइलों का हम पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं. हमें अभी तक पूरी फाइल नहीं मिली है क्योंकि इनमें से कुछ का पता लगाया जाना बाकी है.’’ अधिकारी ने कहा कि पूर्व गृह सचिव के बयान के बाद इशरत जहां की फाइल पर गौर करना जरूरी हो गया है. उन्होंने कहा, ‘‘नये तथ्यों के सामने आने को देखते हुए हम फाइलों पर गौर कर रहे हैं.’’

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पिल्लई के दावे के बाद बढ़ी सियासी हलचल
पिल्लई ने शुक्रवार को दावा किया था कि यूपीए सरकार के दौरान गृह मंत्री रहे कांग्रेस नेता चिदंबरम ने मूल हलफनामे के एक महीने बाद फाइल मंगवाई थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर मूल फाइल में इशरत और उसके मारे गए सहयोगियों को लश्कर ए तैयबा का आतंकवादी बताया गया था. खबरों में उनके हवाले से बताया गया कि ‘‘मंत्री के निर्देश के मुताबिक हलफनामे को संशोधित करने के बाद मेरे पास भेजा गया.’’ तत्कालीन यूपीए सरकार ने दो हलफनामे सौंपे थे. एक में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों को आतंकवादी बताया गया था. दूसरे में बताया गया था कि कोई निर्णायक साक्ष्य नहीं है.’’

पुलिस अफसरों से आपराधिक मामले हटाने की मांग
इसके बाद सोमवार को एक वकील एम एल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर मांग की है कि इशरत जहां एनकाउंटर मामले में पुलिस अधिकारियों पर से आपराधिक केस हटा दिया जाए. शर्मा ने अर्जी में लिखा है कि संविधान की धारा 21 नागरिकों पर लागू होती है, आतंकियों और देशद्रोहियों पर नहीं. 11 फरवरी को न्यायिक कार्यवाही में इशरत जहां और उसके तीनों साथी आतंकी साबित हो चुके हैं तो उसे मारने के लिए गुजरात पुलिस को दंडित नहीं किया जाना चाहिए.

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