उत्तराखंड में आज फिर मौसम का मिजाज बिगड़ा है. हल्की बारिश हो रही है और भारी बारिश के आसार हैं. मौसम की वजह से राहत कामों पर असर पड़ रहा है. हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. बताया जा रहा है कि पहाड़ों पर अब भी करीब 4 हजार लोग फंसे हैं, लेकिन खराब मौसम की वजह से राहत का काम जोर नहीं पकड़ पा रहा है.
उधर उत्तराखंड में बचाव के काम में लगा एयरफोर्स का एक हेलीकॉप्टर एमआई 17 मंगलवार शाम को क्रैश हो गया. एनडीएमए ने बताया है कि इस हेलीकॉप्टर में कुल 19 लोग सवार थे जिसमें 9 एनडीआरएफ के, आईटीबीपी के 6 और वायुसेना के 4 लोग सवार थे. सभी 20 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. अर्द्धसैनिक बलों ने 13 लोगों के शव बरामद कर लिए हैं. पहले जानकारी मिली थी कि मरनेवालों में वायुसेना के 5 कर्मी और 3 तीर्थयात्री शामिल थे लेकिन अब एनडीएमए ने स्पष्ट किया है कि हेलीकॉप्टर में वायुसेना के 4 कर्मी सवार थे.
हेलीकॉप्टर केदारनाथ में रसद पहुंचाकर लौट रहा था. रसद में खासतौर पर मृतकों के क्रियाकर्म के लिए सामग्री थी. वहां से लौटते हुए गौरीकुंड के उत्तर में यह एक्सिडेंट हुआ.
सूत्रों के मुताबिक इस समय दर्जनों की संख्या में चॉपर केदारनाथ, जंगलचट्टी और गौरीकुंड इलाके में घने जंगलों और पहाड़ियों में फंसे लोगों को निकालने का काम कर रहे हैं. मगर पिछले दो दिनों से हो रही तेज बारिश के चलते काम में मुश्किलें आ रही थीं. इसके बाद भी मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एयरफोर्स कैलकुलेटेड रिस्क ले रही थी. मगर मंगलवार को इस जोखिम के चलते बुरी खबर सुनने को मिली.
रिटायर्ड विंग कमांडर प्रफुल्ल बख्शी ने इस दुर्घटना पर कहा कि हेलीकॉप्टर के लिहाज से यह बहुत ही बुरी स्थिति है. इस मौसम में उड़ाना खतरनाक ही होता है. मेरी सलाह है कि ऐसी स्थित में हवाई राहत के काम को स्थगित कर देना चाहिए. हमारे लिए पायलटों और जवानों की जान की बहुत कीमत है.
हमारे सहयोगी चैनल हेडलाइंस टुडे के मुताबिक इस एक्सिडेंट के बाद भी गुप्तकाशी, केदारनाथ और आसपास के इलाकों में हेलीकॉप्टरों की उडा़न जारी है. इसे फिलहाल स्थगित नहीं किया गया है. मकसद यह है कि रौशनी जब तक है, ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचा लिया जाए. वायुसेना ने इस एक्सिडेंट की इंक्वायरी के आदेश दे दिए हैं.