फाइटर प्लेन मिग-21 की गड़बड़ियों के शिकार हुए और उस वक्त फाइटर पायलट रहे संजीत सिंह केइला द्वारा दायर याचिका के मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मिग बनाने वाली कंपनी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) गड़बड़ियों का दोषी मानते हुए फाइटर पाइलट रहे संजीत सिंह केइला को 50 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है. यहां हम आपको बताते चलें कि हाईकोर्ट का इस मसले पर यह अपने तरह का अलहदा और बड़ा बयान है. कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि मिग 21 फाइटर प्लेन में कई गड़बड़ियां रही हैं और पायलट को 50 लाख का मुआवजा दिया जाए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में केन्द्र सरकार को भी 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. साथ ही फाइटर पायलट की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए गाइडलांइस बनाने के निर्देश दिए हैं. गौरतलब है कि फाइटर प्लेन मिग-21 में खराब कल-पुर्जे लगने की वजह से साल 2005 में मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस दुर्घटना में फाइटर पायलट के रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई और वे दोबारा फाइटर प्लेन उडाने के लायक नहीं रहे. 2005 में फाइटर पायलट रहे संजीत सिंह केइला फिलहाल विंग कमांडर पद पर तैनात हैं.
21 साल की उम्र में बतौर फाइटर पायलट सेना में शामिल
संजीत सिंह केइला ने 21 साल की उम्र में बतौर फाइटर पायलट फोर्सेस ज्वाइन किया था. वे साल 2005 में हादसे के शिकार हो गए. साल 2011 में मिग-21 पर आई एक रिपोर्ट मे कहा गया कि हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड से बनाए गए मिग-21 के निर्माण में कई खामियां हैं. इसी को आधार बनाकर संजीत सिंह केइला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. 47 साल के संजीत सिंह केइला को आज भी इस बात का मलाल है कि वे इन खामियों के शिकार हुए और देश की सेवा फाइटर पाइलट के तौर पर नहीं कर पाए.
यहां हम आपको बताते चलें कि जब संजीत सिंह केइला ने मिग-21 की गड़बड़ियों को लेकर विभाग को लिखा तो उलट कर उन पर ही विभागीय कारवाई के आदेश दे दिए गए. उन्हें ग्रांउड डयूटी में लगा दिया गया. कोई मुआवजा नहीं दिया गया. इसके खिलाफ संजीत सिंह केइला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. अब इस मामले में हाईकोर्ट का आदेश इस मसले पर लड़ रहे अफसर के लिए उम्मीद की किरण सरीखा है.