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मजदूरों के रेल किराये का क्या है पूरा विवाद? अब इन राज्यों ने किया फ्री टिकट का ऐलान

सोमवार को दिन भर चले इस विवाद के बीच कई राज्य सरकारों ने श्रमिक ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों से टिकट का पैसा न लेने का फैसला ले लिया. मध्य प्रदेश सरकार ने आदेश जारी करते हुये कहा कि राज्य के जो भी मजदूर वापस लौटेंगे उनके किराये का खर्च सरकार उठायेगी.

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मजदूरों के लिये चलाई जा रही श्रमिक ट्रेन (फोटो-PTI)
मजदूरों के लिये चलाई जा रही श्रमिक ट्रेन (फोटो-PTI)

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  • प्रवासी मजदूरों के रेल किराये पर बढ़ा विवाद
  • कई राज्य सरकारों ने किया फ्री टिकट का ऐलान
  • कांग्रेस ने केंद्र पर लगाया किराया वसूलने का आरोप

श्रमिक ट्रेनों से लौट रहे मजदूरों के किराये पर विवाद के बीच कई राज्य सरकारों ने ऐलान कर दिया है कि रेल टिकट का पैसा नहीं लिया जायेगा. इस लिस्ट में बीजेपी के साथ ही कांग्रेस शासित प्रदेश भी शामिल हैं. सोमवार को मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़ ने लॉकडाउन में फंसे मजदूरों से ट्रेन किराया न लेने का फैसला किया. हालांकि, कुछ जगह से अब भी ये शिकायत आ रही है कि लॉकडाउन में फंसे जो प्रवासी मजदूर विशेष ट्रेनों से अपने गृह राज्य लौट रहे हैं उनसे टिकट के पैसे लिये जा रहे हैं.

कांग्रेस ने मजदूर रेल किराये का मुद्दा उठाया तो सोमवार को इस मसले पर बवाल मच गया. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मजदूरों से ट्रेन का किराया ले रही है, जो कि शर्मनाक है. इसके साथ ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस की सभी प्रदेश यूनिट को आदेश दिया कि मजदूरों के टिकट का खर्च वो उठायें.

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सोनिया के फैसले के बाद बीजेपी हुई एक्टिव

सोनिया के इस आदेश पर तुरंत ही अमल भी शुरू हो गया तो दूसरी तरफ बीजेपी तुरंत एक्टिव हो गई. बीजेपी ने पलटवार करते हुये सोनिया गांधी के फैसले को मजाकिया बताया और कहा कि मजदूरों की रेल यात्रा का खर्च केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर उठाना है लेकिन कांग्रेस की सरकारें इसमें सहयोग नहीं कर रही हैं.

कोरोना पर हर शाम 4 बजे होने वाली केंद्र सरकार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी ये सवाल उठाया गया. इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि श्रमिक ट्रेनें राज्यों की डिमांड पर चलाई जा रही हैं और इसमें यात्रा का 85 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठा रही है, जबकि 15 फीसदी राज्य सरकारों को देना है. लव अग्रवाल ने बताया कि एक-दो राज्यों को छोड़कर सभी इसमें सहयोग कर रहे हैं.

बीजेपी ने किया कांग्रेस पर पलटवार

बीजेपी के संगठन महासचिव बीएल संतोष ने इस मसले पर कई ट्वीट किये और कांग्रेस को घेरते हुये बताया कि केवल राजस्थान, महाराष्ट्र और केरल ने प्रवासी मजदूरों पर टिकट का चार्ज लगाया. बीएल संतोष ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा कि त्रिपुरा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने ट्रेन किराया जमा कराया है. हालांकि, संतोष के ट्वीट के बाद राजस्थान सरकार ने मजदूरों से कोई किराया नहीं लिया, साथ ही सरकार ने किराया न लेने का ऐलान भी कर दिया.

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राजस्थान-एमपी-बिहार सरकार ने किया ऐलान

सोमवार को दिन भर चले इस विवाद के बीच राज्य सरकारों ने श्रमिक ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों से टिकट का पैसा न लेने का फैसला लिया. मध्य प्रदेश सरकार ने आदेश जारी करते हुये कहा कि राज्य के जो भी मजदूर वापस लौटेंगे उनका किराया सरकार उठायेगी.

मध्य प्रदेश के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मीडिया के सामने आये और ट्रेन चलाने के लिये केंद्र सरकार का शुक्रिया अदा करते हुये कहा कि मजदूरों को टिकट किराया देने की जरूरत नहीं है. इतना ही नहीं, बिहार सरकार ने दूसरे राज्यों से लौटे मजदूरों को क्वारनटीन सेंटर में गमछा, लुंगी और बाल्टी समेत जरूरत की कई चीजों वाली किट भी मुहैया कराने का फैसला किया.

इसके बाद हरियाणा सरकार की तरफ से बिहार सरकार को लिखा गया कि 5 मई को हरियाणा के अलग-अलग शहरों से 6 ट्रेन बिहार के चलाई जायेंगी और पूरा किराया राज्य सरकार द्वारा दिया जायेगा. यानी बीजेपी और उसकी समर्थित राज्य सरकारों ने जहां स्थिति स्पष्ट करते हुये किराया न वसूलने की बात कही तो कांग्रेस की सरकारों ने भी फ्री यात्रा का ऐलान कर दिया.

क्या कहा अशोक गहलोत ने?

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर बताया, 'लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी श्रमिक जो प्रदेश से बाहर अपने घर जाना चाह रहे हैं उनके जाने का किराया राज्य सरकार वहन करेगी. हमारी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि संकट की इस घड़ी में फंसे श्रमिकों को घर जाने के लिए यात्रा किराए का भुगतान स्वयं नहीं करना पड़े.'

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इसके अलावा छत्तीसगढ़ में भी फ्री यात्रा का फैसला किया गया. कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ सरकार के आदेश को ट्वीट करते हुये लिखा, 'छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार ने इस आपात संकट के वक्त मुश्किलों का सामना कर रहे मजदूरों को विशेष ट्रेन के माध्यम से उनके घर वापस लाने के लिए उनकी रेल यात्रा का खर्च वहन करने का सराहनीय निर्णय लिया है. इस संकट की घड़ी में कांग्रेस हर गरीब मजदूर के साथ खड़ी है.'

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मजदूरों को देना पड़ा टिकट का किराया

हालांकि, गुजरात से आने वाले मजदूर और वहां मौजूद मजदूर अब भी किराया वसूले जाने की शिकायत कर रहे हैं. गुजरात से मुजफ्फरपुर पहुंची श्रमिक ट्रेन से लौटे मजदूरों ने बताया कि उनसे टिकट के 600 रुपये लिये गये. इनके अलावा जौनपुर पहुंचे मजदूरों ने भी अहमदाबाद में ही 710 रुपये किराया लिये जाने का दावा किया. वहीं, सूरत में फंसे 1200 मज़दूरों को लेकर पहली श्रमिक ट्रेन झारखंड के लिए रवाना हुई तो इससे सफर करने वाले यात्रियों ने भी अपनी जेब से टिकट का किराया दिया.

यानी मजदूर अब भी ये शिकायत कर रहे हैं कि उनसे टिकट के पैसे लिये जा रहे हैं. जबकि बीजेपी की तरफ से बार-बार गृहमंत्रालय की उस गाइडलाइन का हवाला दिया जा रहा है कि जिसमें लिखा गया है कि स्टेशन पर कोई टिकट नहीं बेचा जायेगा. हालांकि, रेलवे का 2 मई का लेटर इससे अलग है. रेलवे के लेटर में लिखा गया है कि राज्य सरकारों द्वारा भेजी गई लिस्ट के हिसाब से श्रमिक ट्रेन यात्रियों के लिये टिकट छापे जायेंगे और ये टिकट राज्य सरकारों को दिये जायेंगे. राज्य सरकार ये टिकट यात्रियों के देकर उनसे किराया ले और रेलवे को दे.

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इस तरह एक तरफ जहां कांग्रेस और बीजेपी में टिकट किराये पर आरोप-प्रत्यारोप चलते रहे वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकारों ने मजदूरों की फ्री यात्रा पर फैसले भी लिये. लेकिन मजदूरों की तरफ से अब भी किराया लिये जाने की शिकायत की जा रही हैं.

बता दें कि केंद्र सरकार को करीब 25 लाख प्रवासी मजदूरों की लिस्ट मिली है. सूत्रों के मुताबिक, सबसे ज्यादा डिमांड महाराष्ट्र और राजस्थान की तरफ से आयी है. रेलवे मंत्रालय का लक्ष्य है कि स्पेशल श्रमिक ट्रेनों से लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को 15 दिन के अंदर उनके गृह राज्यों तक छोड़ दिया जायेगा.

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