आम चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में खुली आलोचना की शुरुआत हो गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने बुधवार को राहुल गांधी के सलाहकारों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
मिलिंद देवड़ा ने कहा कि राहुल गांधी को सलाह देने वाले लोग ठीक नहीं हैं. उन्हें जमीनी हकीकत का ज्ञान नहीं हैं, न ही
चुनावों का अनुभव है. लेकिन जो लोग सलाह लेते हैं, जिम्मेदारी उन्हें भी लेनी पड़ती है. वहीं कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने भी मिलिंद देवड़ा की बात को सही बताकर आलोचना की आवाज को और बुलंद कर दिया है. हालांकि कांग्रेस के भीतर देवड़ा के बयान की आलोचना भी शुरू हो गई है. राज्यसभा सांसद हुसैन दलवई ने पार्टी में मिलिंद देवड़ा के योगदान पर ही सवाल उठा दिए हैं.
मुंबई साउथ संसदीय सीट से चुनाव हारने वाले देवड़ा ने अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि कांग्रेस की हार के पीछे 'कई फैक्टर' हैं और इसके लिए सिर्फ राहुल गांधी के नेतृत्व को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा, 'यह एक शख्स की छवि के बारे में नहीं, बल्कि उसके आस-पास के लोगों के बारे में था.'
My comments are out of emotions of deep loyalty to the party, pain of our performance & a sincere desire to see us bounce back. Nothing more
— Milind Deora (@milinddeora) May 22, 2014
Field party work & electoral battles are key to comprehend ground realities. This should form the basis for leadership posts in Congress
— Milind Deora (@milinddeora) May 22, 2014
'नहीं सुनी गई पार्टी काडर की बात'
देवड़ा के शब्द थे, 'सवाल यह है कि सलाहकारों को जमीनी हकीकत की जानकारी थी या नहीं. पार्टी में ऐसी खुसफुसाहट थी
कि जो लोग फैसले ले रहे थे उन्हें चुनावों का कोई अनुभव नहीं था. न ही पार्टी में उनका कद, स्टैंड, सम्मान और
विश्वसनीयता थी. वे प्रमुख विभागों के प्रभारी थे और अहम पदों पर आसीन थे. इन लोगों के समूह ने पार्टी काडर और सांसदों
की बात नहीं सुनी. उन्होंने अलग-अलग विचारों को चर्चा में आने से रोका और कोई लोगों को चुप करा दिया. हममें से कई जानते थे कि पार्टी उदासीन हो चली है. अगर सिस्टम थोड़ा खुला और समावेशी होता और सबके विचारों को सुना जाता
तो सुधार के उपाय किए जा सकते थे.'
पिछली लोकसभा में सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कहा कि पार्टी के बहुत सारे लोगों को लगता था कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. उन्हें लगने लगा था कि उनकी राय मायने ही नहीं रखती.
गलत नहीं कहा देवड़ा ने: सत्यव्रत
कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने भी मिलिंद देवड़ा की बात को सही बताया है. उन्होंने कहा, 'राहुल के सलाहकारों के पास
अनुभव नहीं है. पार्टी और सरकार के बीच समन्वय की कमी थी. राहुल से गलती हुई, गलती हम सबसे हुई. उसे ठीक करना
जरूरी है. मिलिंद देवड़ा ने ठीक ही कहा है लेकिन उन्होंने जो भी कुछ कहा वो उन्हें पार्टी फोरम में कहना चाहिए था.'
'मिलिंद ने पार्टी के लिए किया क्या है'
मिलिंद देवड़ा के बयान पर महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद हुसैन दलवई बरस पड़े हैं. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि उन्होंने यह सब क्यों कहा. वह खुद भी राहुल के सलाहकार थे. वह राहुल के करीबी हैं. मुझे नहीं लगता कि हार की वजह गलत सलाब है. मिलिंद देवड़ा का पार्टी के लिए कोई योगदान नहीं है. इसके बावजूद उन्हें टिकट दिया गया और मंत्री बनाया गया, सिर्फ उनके पिता (मुरली देवड़ा) की वजह से.'
'सलाह लेने वालों को भी लेनी होती है जिम्मेदारी'
राहुल गांधी को भी लपेटे में लेते हुए मिलिंद देवड़ा ने कहा, 'सिर्फ सलाहकारों की बात नहीं है. सलाह लेने वाले लोगों को भी जिम्मेदारी
उठानी पड़ती है. वे जो सलाह देते हैं, वे जो सलाह लेते हैं और वे जो समझते हैं कि वे बेहतर सलाह दे सकते थे, सबको
जिम्मेदारी लेनी पड़ती है.' किसी का नाम लिए बिना मिलिंद देवड़ा ने कहा कि अब एकमात्र तरीका यही है कि पार्टी को थोड़ा
खोला जाए और विरोध और बहस की अंदरूनी आवाजों को जगह दी जाए. उन्होंने पार्टी में आजाद और खुली चर्चा और
जवाबदेही सुनिश्चित करने की जरूरत बताई.
देवड़ा ने कहा कि सिर्फ चुनाव अभियान को कोसना ठीक नहीं है. पार्टी ने कई जगहों पर गलत दिशा में कदम बढ़ाए हैं. पार्टी की सोच, सरकार, संपर्क, पार्टी और सरकार में तालमेल, इन सब मोर्चों पर हम गलत दिशा में जा रहे थे. पिछले तीन साल से चीजें खराब हो रही थीं.