एक सैन्य न्यायाधिकरण ने सुकना भूमि घोटाले में 33वीं कोर के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ के कोर्ट मार्शल को शुक्रवार को रद्द कर दिया. इस मामले में हुई ‘मान हानि’ के लिए सेना पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इस मामले में रथ अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने वाले तीन स्टार स्तर के पहले अधिकारी थे.
2011 में एक कोर्ट मार्शल ने उन्हें उस कथित घोटाले का दोषी पाया था, जिसमें एक निजी बिल्डर को पश्चिम बंगाल के सुकना स्थित एक सैन्य कैंटोंमेंट से सटे 70 एकड़ के जमीन के प्लॉट पर एक शिक्षण संस्थान का निर्माण करने के लिए ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ जारी किया गया था. रथ और लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश को इस मामले में कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ा था, लेकिन रथ इस मामले में सजा पाने वाले पहले अधिकारी थे.
न्यायमूर्ति सुनील हाली के नेतृत्व वाले एक सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) ने अपने फैसले में कहा, ‘याचिकाकर्ता को सभी आरोपों से बरी किया जाता है. वह सभी लाभ 12 प्रतिशत ब्याज के साथ प्राप्त करने के हकदार हैं.’ पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को प्रतिवादियों के कृत्य के चलते अनुचित प्रताड़ना के साथ ही बदनामी झेलनी पड़ी और यदि इसकी क्षतिपूर्ति नहीं की गई तो यह न्याय का मजाक होगा.
पीठ ने कहा, ‘इसलिए याचिकाकर्ता को प्रताड़ना और बदनामी के लिए एक सांकेतिक मुआवजे के तौर पर प्रतिवादी उन्हें एक लाख रुपये हर्जाना का भुगतान करें.’ लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के साथ अधिकारियों वाले सैन्य अदालत द्वारा कोर्ट मार्शल किए जाने के बाद रथ ने एएफटी में एक याचिका दायर करके अपना जनरल कोर्ट मार्शल रद्द करने और बदनामी के लिए हर्जाना मुहैया कराने का अनुरोध किया था.
जनवरी 2011 में जनरल कोर्ट मार्शल ने उन्हें पद की वरिष्ठता में 18 महीने घटाने, पेंशन के उद्देश्य के लिए पूर्व की सेवा के 15 वर्ष जब्त करने का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति हाली ने भगवत गीता को उद्धृत करते हुए कहा, ‘लोग हमेशा आपके कलंक की बात करते हैं और एक सम्मानित व्यक्ति के लिए बदनामी मौत से बदतर है.’ जमीन घोटाला 2008 में उस समय सार्वजनिक हो गया था जब पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह सेना की पूर्वी कमान के कमांडर थे और कथित भूमि घोटाले में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी शुरू की थी.