सुप्रीम कोर्ट ने मिलावटी दूध बनाने और उसे बेचने वालों पर सख्ती दिखाई है. गुरुवार को देश की सबसे ऊंची अदालत ने ऐसा करने वालों को उम्रकैद की सजा की हिमायत की. फिलहाल इस जुर्म के लिए 6 महीने की सजा का प्रावधान है.
कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि इस संबंध में कानून में उचित संशोधन किया जाए. न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति एके सीकरी की बेंच ने कहा कि इस अपराध के लिये खाद्य सुरक्षा कानून में किया गया 6 महीने की सजा का प्रावधान नाकाफी है.
कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा की तरह बाकी राज्यों को भी अपने कानून में उचित संशोधन करना चाहिए. कोर्ट दूध में मिलावट के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. इन याचिकाओं में सरकार से दूध में मिलावट की रोकथाम का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अनुराग तोमर ने कोर्ट में दलील दी कि उत्तर भारत के कई राज्यों में दूध में सिंथेटिक तत्व मिलाए जा रहे हैं जिनसे लोगों के स्वास्थ्य और जीवन को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है. उनका कहना था कि खाद्य सुरक्षा और मानक प्रधिकरण की ओर से 2011 में लिए गए दूध के नमूनों से पता चला कि देश में बड़े पैमाने पर दूध में मिलावट हो रही है.
कोर्ट ने सुनवाई के बाद दूध में मिलावट के लिये कड़ी सजा की हिमायत करते हुए इस बारे में राज्य सरकारों से जवाब मांगा है. कोर्ट जानना चाहता है कि राज्य सरकारें इस समस्या से निपटने और दूध में मिलावट पर रोक लगाने के लिये क्या कदम उठा रही हैं. इस मामले में कोर्ट अब 13 जनवरी को आगे विचार करेगा.