scorecardresearch
 

फुटपाथ पर रहने को मजबूर गृहलक्ष्मी पत्रिका की पूर्व संपादक

मुंबई के वर्सोवा के फुटपाथ पर पड़ी ये महिला किसी जमाने में मराठी पत्रिका गृहलक्ष्मी की संपादक हुआ करती थी. आज ये गुरुद्वारा के लंगर से खाना खाती है और फुटपाथ पर रहती हैं.

Advertisement
X
सुनीता नाइक
सुनीता नाइक

मुंबई के वर्सोवा के फुटपाथ पर पड़ी ये महिला किसी जमाने में मराठी पत्रिका गृहलक्ष्मी की संपादक हुआ करती थी. आज ये गुरुद्वारा के लंगर से खाना खाती है और फुटपाथ पर रहती हैं.

Advertisement

एक जमाने में सुनीता नाइक ने बहुत शानदार जिंदगी जी है. शहर में सुनीत का रूतबा हुआ करता था. वो मराठी पत्रिका गृहलक्ष्मी की संपादक थीं. वर्ली में उनके दो फ्लैट थे लेकिन जिंदगी ने पलटा खाया और पांच भाषाएं धाराप्रवाह बोलने वाली सुनीता सड़क पर आ गईं.

पढ़ी लिखी होने के बावजूद भी सुनीता अपने बैंक बैंलेस और संपत्ति का हिसाब-किताब नहीं रख पाई. स्थानीय लोग अपनी तरफ से सुनीता का ध्यान रखने की पूरी कोशिश करते हैं.

सुनीता के मुताबिक उनका हिसाब किताब उनकी एक नौकारानी देखा करती थी, जो अब उनके संपर्क में नहीं है. सुनीता वापस अपने पैरों पर खड़े होकर एक सम्मानजनक जिंदगी जीना चाहती हैं.

Advertisement
Advertisement