कर्नाटक में विपक्षी कांग्रेस और जदएस विधायकों का, भाजपा सरकार पर कथित अवैध खनन घोटाले की सीबीआई से जांच कराने के लिए दबाव बढ़ाने की खातिर विधानसभा भवन में धरना जारी है.
इस बीच, ऐसे भी संकेत हैं कि गतिरोध दूर न होने की स्थिति में विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जा सकता है.
विपक्ष के दबाव से अविचलित बी एस येदियुरप्पा सरकार सीबीआई जांच कराने से इंकार कर चुकी है. लेकिन विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा हुआ है जिसकी वजह से गतिरोध उत्पन्न हो गया है.
विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्दरमैया (कांग्रेस) ने बताया ‘‘हम धरना जारी रखेंगे. अपनी मांग से पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता. अगर सरकार नहीं मानेगी तो हम जनता के बीच जाएंगे.’’ कांग्रेस और जदएस के सदस्य सीबीआई जांच की मांग को लेकर एकजुट हो गए हैं और उनकी नजदीकी बता रही है कि वे भाजपा सरकार पर दबाव बनाना चाह रहे हैं. धरना दे रहे विधायकों ने कल दूसरी रात विधानसभा परिसर में सदन तथा लॉबी के अंदर सोते हुए गुजारी.
जदएस के नेता एच डी रेवन्ना ने बताया कि ‘‘पिछले सात साल में लौह अयस्क की लूट हुई है जो करीब 20,000 करोड़ रूपये का घोटाला है.’’ रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के पुत्र हैं.
पूर्व में येदियुरप्पा ने सदन में स्वीकार किया था कि पिछले सात साल के दौरान तीन करोड़ टन से भी अधिक लौह अयस्क गैरकानूनी तरीके से पोतों द्वारा कर्नाटक के बंदरगाहों से बाहर भेजा गया.
उन्होंने कहा था कि वर्ष 2008-09 में और 2009-2010 में ही एक करोड़ टन से अधिक लौह अयस्क की गैर कानूनी तरीके से खुदाई हुई और उसे बाहर भेजा गया. इस अवधि में येदियुरप्पा की सरकार सत्ता पर रही.
विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने की स्थिति में विपक्ष की प्रतिक्रिया के बारे में पूछने पर सिद्दरमैया ने कहा कि वह इसका विरोध करेंगे.
उन्होंने कहा ‘‘विनियोग विधेयक 31 जुलाई को पारित किया जाना है इसलिए अभी समय है.’’ उन्होंने कहा ‘‘खनन घोटाला कर्नाटक के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला है. 20,000 करोड़ रूपये की राशि राज्य के बजट का एक तिहाई हिस्सा होती है.’’ सिद्दरमैया ने कहा कि अगर सरकार अवैध खनन पर डेढ़ साल पहले दी गई लोकायुक्त रिपोर्ट पर काम करती तो पिछले दो साल में इतना अधिक नुकसान नहीं होता.