केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इन दिनों अपने बयान के कारण लगातार चर्चा का विषय बन चुके हैं. तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को मिली हार पर जिम्मेदारी तय करने वाले बयान पर गडकरी पहले ही सफाई दे चुके हैं, लेकिन उनका नया बयान देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को लेकर है. एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने जवाहर लाल नेहरू के भाषणों की तारीफ की और खुद को उनके भाषणों का मुरीद बताया.
एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने कहा ''सिस्टम को सुधारने को दूसरे की तरफ उंगली क्यों करते हो, अपनी तरफ क्यों नहीं करते हो. जवाहर लाल नेहरू कहते थे कि इंडिया इज़ नॉट ए नेशन, इट इज़ ए पॉपुलेशन. इस देश का हर व्यक्ति देश के लिए प्रश्न है, समस्या है. उनके भाषण मुझे बहुत पसंद हैं. तो मैं इतना तो कर सकता हूं कि मैं देश के सामने समस्या नहीं बनूंगा''.
नितिन गडकरी का ये बयान 24 दिसंबर का है. नितिन गडकरी के इस बयान पर सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और लोग कई कयास भी लगाते जा रहे हैं.
#WATCH Nitin Gadkari: JL Nehru kehte the, "India is not a nation, it is a population. Iss desh ka har vyakti desh ke liye prashn hai, samasya hai." Unke yeh bhashn mujhe bahut pasand hain. Toh main itna toh kar sakta hun ki main desh ke saamne samasya nahi rahunga. (24.12) pic.twitter.com/i3QzoqwrLk
— ANI (@ANI) December 25, 2018
पहले भी दिया था बयान
बता दें कि इससे पहले भी पिछले करीब तीन-चार दिनों में नितिन गडकरी के कई बयान चर्चा का विषय बन चुके हैं. जिसके कारण उन्हें सफाई भी पेश करनी पड़ी. सोमवार को ही नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि अगर मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद या विधायक अच्छा नहीं करते हैं तो जिम्मेदार कौन होगा? गौरतलब है कि नितिन गडकरी के इस बयान को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की हार से जोड़ा जाने लगा.
गडकरी ने इसके बाद ट्वीट कर सफाई भी दी. उन्होंने कहा, ''वे हमेशा के लिए साफ कर देना चाहते हैं कि मेरे और बीजेपी नेतृत्व के बीच में दरार पैदा करने की साजिश कभी कामयाब नहीं होगी. मैने अपनी पोजिशन विभिन्न फोरम पर स्पष्ट की है और आगे भी करता रहूंगा और हमारे विरोधियों के नापाक मंसूबों को उजागर करता रहूंगा.''
इस बयान से पहले भी नितिन गडकरी चुनाव की हार पर बयान दे चुके हैं. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि जीत के कई पिता होते हैं, लेकिन हार हमेशा अनाथ ही होती है. हार की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता है.