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बंसल परिवार पर कैसे हुई पैसों की बारिश...

पांच साल में बंसल परिवार के कारोबार की कामयाबी देखकर कोई भी चौंक जाएगा. 5 साल में शून्य से सौ करोड़ पर पहुंच गया बंसल परिवार का कारोबार.

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पवन बंसल
पवन बंसल

पांच साल में बंसल परिवार के कारोबार की कामयाबी देखकर कोई भी चौंक जाएगा. 5 साल में शून्य से सौ करोड़ पर पहुंच गया बंसल परिवार का कारोबार.

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2007 में जिस कंपनी का टर्न ओवर शून्य था, 2011-12 तक वो कंपनी सौ करोड़ रुपये का साम्राज्य स्थापित कर चुकी थी. इस सफलता की शुरुआत होती है 2007 में सुनील गुप्ता नाम के व्यक्ति को कैनरा बैंक में डायरेक्टर बनाए जाने से. सुनील गुप्ता को 2007 में जब कैनरा बैंक में नॉन ऑफिशियल डायरेक्टर बनाया गया, उस समय पवन कुमार बंसल केंद्र में वित्त राज्यमंत्री हुआ करते थे.

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सुनील गुप्ता 90 के दशक से बंसल परिवार की 11 कंपनियों के चार्टर्ड अकाउंटेंट रहे हैं. इतना ही नहीं पवन बंसल के बेटे की कंपनी में सुनील गुप्ता पार्टनर भी हैं. दस्तावेजों के मुताबिक बंसल परिवार के अलावा सिर्फ सुनील गुप्ता ही पार्टनर थे.

कैनरा बैंक में सुनील गुप्ता के डायरेक्टर बनते ही बंसल परिवार की कंपनियों पर पैसे की बारिश होने लगी. चार साल के भीतर कैनरा बैंक ने करीब साठ करोड़ रुपये का लोन दिया. सुनील गुप्ता के डायरेक्टर बनने से सिर्फ बंसल परिवार की कंपनियों को ही फायदा नहीं मिला बल्कि पवन बंसल के भांजे विजय सिंगला की कंपनी मिराज इन्फ्रा भी मालामाल हो गयी. 2008 में मिराज इन्फ्रा को कैनरा बैंक ने एक किश्त में 40 करोड़ रुपए का लोन मंजूर कर दिया.

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बंसल की कंपनियों पर पैसों की बारिश कराने का सुनील गुप्ता को फायदा भी मिला, 2010 में उन्हें डायरेक्टर से प्रमोशन देकर शेयर होल्डर डायरेक्टर बना दिया गया.

सुनील गुप्ता ने सिर्फ बंसल परिवार की कंपनियों को ही फायदा नहीं पहुंचाया बल्कि पवन बंसल के करीबी रिश्तेदारों को अहम पदों पर बिठाया. आजतक को मिले दस्तावेजों के मुताबिक पवन बंसल के भाई के बेटे विक्रम बंसल को सुनील गुप्ता की सिफारिश पर कैनरा बैंक की इश्योंरेंस कंपनी में डायरेक्टर बनाया गया. इस कंपनी में 51 फीसदी हिस्सेदारी कैनरा बैंक की है, 26 फीसदी ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स और 23 फीसदी एचएसबीसी बैंक की है. मजे की बात ये है कि बंसल के भतीजे ने दस्तावेजों में अपना पता पवन बंसल के चंडीगढ़ वाले घर का ही दिया है.

कुल मिलाकर जो चीजें सामने आ रही हैं उससे यही लगता है कि पवन कुमार बंसल ने जब भी कोई मंत्रालय संभाला, उसका सीधा फायदा उनके परिवार को मिला.

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