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दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों में पढ़ने दो नमाज, अल्पसंख्यक आयोग की सरकार से मांग

अल्पसंख्यक आयोग ने केंद्र सरकार से मांग की है कि दिल्ली की पुरानी और ऐतिहासिक मस्जिदों में मुसलमानों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी जाए. अभी सैकड़ों बरस पुरानी इन इमारतों की देखरेख आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) करता है और आयोग इस संस्था को निर्देश दिए जाने की मांग कर रहा है.

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कुतुबमीनार
कुतुबमीनार

अल्पसंख्यक आयोग ने केंद्र सरकार से मांग की है कि दिल्ली की पुरानी और ऐतिहासिक मस्जिदों में मुसलमानों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी जाए. अभी सैकड़ों बरस पुरानी इन इमारतों की देखरेख आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) करता है और आयोग इस संस्था को निर्देश दिए जाने की मांग कर रहा है. जिन मस्जिदों में नमाज पढ़ने की मांग उठाई गई है, वहां बरसों से नमाज नहीं पढ़ी गई. ऐसी कुल 31 मस्जिदें राजधानी दिल्ली में बताई जा रही हैं.

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एक इंग्लिश न्यूजपेपर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आयोग ने संस्कृति मंत्रालय को पत्र लिखकर यह मांग की. अब एएसआई ऐसी 31 संरक्षित इमारतों का सर्वे करेगा, जहां नमाज पढ़ने की मांग की गई है.

नौ मस्जिदों में अवैध रूप से पढ़ी जा रही नमाज

एएसआई के मुताबिक फिलहाल दिल्ली में नौ ऐसी संरक्षित ऐतिहासिक इमारतें हैं, जहां पर बिना सरकारी अनुमति के यानी अवैध रूप से नमाज पढ़ी जा रही है. इनमें सफदर जंग मकबरा, कोटला फिरोज शाह और पुराना किला शामिल हैं. उधर सरकार को चिंता है कि अगर इन संरक्षित इमारतों में नमाज की अनुमति दे दी जाती है, तो इमारतों की सुरक्षा का क्या होगा.

नियम के मुताबिक संरक्षित इमारत में धार्मिक गतिविधि नहीं

1958 में बने द एनसिएंट मॉन्यूमेंट एंड ऑर्कियोलॉजिकल साइट्स एंड रिमेंस एक्ट के मुताबिक जब किसी ऐतिहासिक इमारत को संरक्षित किया जाता है और अगर उस वक्त वहां कोई चीज नहीं हो रही है, तो संरक्षण के बाद भी ऐसी किसी नई गतिविधि को शुरू नहीं किया जा सकता. यानी अगर मस्जिद ऐतिहासिक है और उसके संरक्षण के नोटिफिकेशन के दौरान वहां नमाज नहीं पढ़ी जा रही थी, तो उसे अब शुरू नहीं किया जा सकता.लेकिन अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन वजाहत हबीबुल्ला का कहना है कि उन्होंने एएसआई को सर्वे करने के लिए कहा है और उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.मगर एएसआई को डर है कि अगर दिल्ली में ये मांग मांगी गई तो दूसरे राज्यों से भी ऐसे ही प्रस्ताव आ सकते हैं.

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