आरएसएस के मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने 26 जनवरी से ठीक पहले देशभर के मदरसा संचालकों को चिट्ठी लिखकर गणतंत्र दिवस मनाने का आग्रह किया है. इसके जवाब में कुछ मदरसा संचालकों ने यह कहकर विवाद पैदा कर दिया है कि राष्ट्र पर्व मनाने की नसीहत देने वाला आरएसएस खुद भी 26 जनवरी और 15 अगस्त पर तिरंगा क्यों नहीं फहराता? हालांकि, वाद और विवाद के बीच देवबन्द के मुफ्ती अरशद फारुखी ने कहा है कि 15 अगस्त और एक 26 जनवरी पर हर हिंदुस्तानी को झंडा फहराकर अपनी खुशी का इजहार करना चाहिए.
फतवा विभाग मदरसा जकरिया देवबन्द के चेयरमैन अरशद फारूखी ने कहा, 'हिंदुस्तान में दो दिन कौमी दिन हैं. एक 15 अगस्त और एक 26 जनवरी. इन दोनों मौकों पर हर हिंदुस्तानी शहरी हिंदुस्तान मुल्क का झंडा लहराता है और खुशी महसूस करता है. हिंदुस्तान के जो दीनी मदारिस हैं और जो दीनी स्कूल हैं, इन दीनी स्कूलों और मदरसों का चूंकि आजादी हासिल करने में बुनियादी किरदार रहा है, इस वास्ते इन मदरसों में भी इन दोनों दिनों में मखसूस अच्छे प्रोग्राम किए जाते हैं. इसमें आजादी की तारीख और आजादी में शरीक होने वालों को सौगात पेश की जाती है.'
हालांकि फारूखी ने आगे यह भी कहा कि RSS मुख्यालय पर मुल्क का झंडा लहराता है या नहीं, उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, 'मुल्क के हर तमाम उन मुकामात पर जो मशहूर मकामात हैं उन पर झंडा लहराना हमारी रवायत रही है और रहनी चाहिए.'
गौरतलब है कि एमआरएम की ओर से जारी चिट्ठी में देश भर के मदरसा संचालकों से गणतंत्र दिवस को विधिवत मनाने को कहा गया है. चिट्ठी में कहा गया है कि 26 जनवरी को मदरसों में पढ़ाने वाले सभी शिक्षक और विद्यार्थी मिलकर झंडारोहण करें और राष्ट्रगान गाएं, ताकि मुस्लिम बच्चों में देशप्रेम की भावना जगे और राष्ट्र पर्व मनाने की संस्कृति मदरसों तक पहुंचे.
'यह इल्जामों की काट है'
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के नगर संयोजक (शिया) खुर्शीद आगा कहते हैं, 'मदरसों पर यह आम इल्जाम है कि यहां दहशतगर्दी की और देशद्रोहिता की ट्रेनिंग दी जाती है. यह उसकी काट के लिए है. वतन से मोहब्बत आधा ईमान है. इसी को साबित करने के लिए शिया और सुन्नी दोनों मदरसों में चिट्ठियां लिखी जा रही हैं और बहुत से मदरसे तैयार भी हो रहे हैं बड़े पैमाने पर.'
'राष्ट्रगान गाना बुराई नहीं'
मंच के ख्वाजा रूमी जो नगर संयोजक (सुन्नी) हैं कहते हैं, 'हम तो यही कहते हैं कि अगर पाकिस्तान में मान लीजिए हिंदू कॉलेज हैं, वहां संस्कृत पढ़ाई जाती है तो क्या वो पाकिस्तान का पर्व नहीं मनाते. तो इसी तरह से आपको भी, आप अरबी पढ़ा रहे हैं तो इस्लाम सिखाता है हिब्बुल वतनी तो अगर इसमें राष्ट्रगान आपको गाना है तो इसमें कोई बुराई नहीं है. लोग इस बात से सहमत हैं.'
'बस शिगूफा है आरएसएस की चिट्ठी'
दूसरी ओर, मदरसों के संचालक कह रहे हैं कि उन्हें चिट्ठी लिखकर गणतंत्र दिवस मनाने की सलाह देना आरएसएस के शिगूफे से ज्यादा और कुछ नहीं, क्योंकि ज्यादातर मदरसों में तो पहले से ही 26 जनवरी और 15 अगस्त पर झंडारोहण और राष्ट्रगीत गाने की परंपरा है. ऐसे में सिर्फ मदरसों को चिट्ठियां भेजकर आरएसएस का मुस्लिम राष्ट्रीय मंच आम लोगों को गलत संदेश देना चाहता है. उल्टा मुस्लिम धर्मगुरु गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा न फहराने के लिए आरएसएस की ओर उंगली उठा रहे हैं.
'खुद पर ध्यान दें तो ज्यादा अच्छा'
मुस्लिम धर्मगुरु खालिद रशीद फिरंगी महली कहते हैं, 'इन मदरसों ने इस मुल्क की आजादी में लीडिंग रोल प्ले किया है और हर तरह की कुर्बानियां दी हैं. जितने भी मदरसे हैं तकरीबन सभी में चाहे 26 जनवरी हो या 15 अगस्त हो, वहां नेश्नल फ्लैग होइस्टिंग होती है. वहां नेशनल एंथम भी गाया जाता है. इससे अलग जो दूसरे इदारे हैं उन्हें अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए कि उनके जो मुख्यालय, जो सेंटर्स हैं उन पर आजादी से लेकर आज तक नेश्नल फ्लैग होइस्टिंग नहीं हुई है.'
'हर बाशिंदे को फक्र होना चाहिए'
मदरसा जकरिया के फतवा विभाग के चेयरमैन मोहम्मद अरशद फारूकी कहते हैं, 'आजादी में मदरसों का अहम रोल था. हर बार 26 जनवरी और 15 अगस्त के मौके पर हम इकट्ठा होते हैं और उस मौके को याद करते हैं. आरएसएस का मुझे पता नहीं, लेकिन हमारे और आसपास के दूसरे सभी मदरसों में ये दोनों राष्ट्र पर्व मनाए जाते हैं. हम मानते हैं कि मुल्क के हर बाशिंदे को इन्हें मनाने पर फक्र होना चाहिए.'
'राष्ट्रगान गाने में एतराज नहीं हो'
बीजेपी प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि अगर राष्ट्रगान गाने की बात कही जा रही है तो इसमें किसी को एतराज नहीं होना चाहिए. वह कहते हैं, 'जहां तक संघ मुख्यालय पर राष्ट्रध्वज न फहरने की बात है तो वो एक संस्था का कार्यालय है और अनेक संस्थाएं काम कर रही हैं. सामाजिक और राजनीतिक उनके अपने-अपने ध्वज हैं, वो उन्हें फहराती हैं लेकिन जहां तक विद्यालयों की बात है वहां बच्चों को अपनी राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का बोध और ज्ञान दोनों होना चाहिए.'
'बदलना होगा अपना मुखौटा'
दूसरी ओर, राजनीतिक पार्टियां विचारधारा के आधार पर इस मसले पर बंटी हुई दिखाई देती हैं. कांग्रेस प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी कहते हैं, 'अगर अपने आपको वो धर्मनिर्पेक्ष दिखाना चाहते हैं. धर्मनिर्पेक्ष हैं कि नहीं हैं ये तो हर आदमी जानता है, लेकिन अगर दिखना चाहते हैं. मुस्लिम नौजवानों को आरएसएस की मुख्यधारा में लाना चाहते हैं, उसकी शाखा में ले जाना चाहते हैं तो सबसे पहले उन्हें अपना मुखौटा बदलना होगा.'