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स्टालिन को मिली करुणानिधि की विरासत, बने DMK के अध्यक्ष

बता दें कि इसी महीने 7 अगस्त को डीएमके प्रमुख करुणानिधि का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. पिता के निधन के बाद उनके दोनों बेटे एक बार फिर राजनीतिक विरासत को लेकर आमने-सामने हैं.

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स्टालिन के हाथ में DMK की कमान (फाइल फोटो)
स्टालिन के हाथ में DMK की कमान (फाइल फोटो)

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तमिलनाडु की राजनीति में आज पीढ़ी परिवर्तन हो गया है. डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के निधन के बाद आज उनके बेटे एम.के. स्टालिन औपचारिक रूप से पार्टी के अध्यक्ष बन गए. स्टालिन पिछले काफी लंबे समय से बतौर कार्यकारी अध्यक्ष पार्टी को चला रह थे.

दरअसल, पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ स्टालिन ने ही नामांकन किया था. अभी तक डीएमके के इतिहास में स्टालिन पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने वाले दूसरे ही नेता हैं. इससे पहले करुणानिधि 49 साल तक पार्टी के अध्यक्ष रहे थे.

गौरतलब है कि उनके दिवंगत पिता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि के बीमार रहने के कारण अधिकांश समय घर में ही बिताने पर स्टालिन को जनवरी 2017 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था.

इस बीच, स्टालिन के भाई अलागिरी ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें पार्टी में जगह नहीं मिलती है तो नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें.

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स्टालिन के बड़े भाई एम. के. अलागिरि जिनको उनके नेतृत्व का विरोध करने को लेकर करुणानिधि ने पार्टी विरोधी कार्य में लिप्त रहने के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था वह उपचुनाव में द्रमुक विरोधी कार्य कर सकते हैं.

स्टालिन ने पार्टी की कमान संभाल ली है, वहीं दूसरी तरफ अलागिरी ने आने वाली 5 सितंबर को एक बड़ी रैली बुलाई है. इस रैली के साथ ही वह अपनी भविष्य की रणनीति का ऐलान कर सकते हैं.

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