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'पंचायत आज तक' में बोले MNS नेता, 'मुंबई में यूपी-बिहार की गोली-दंगे की संस्कृति नहीं चाहते'

मुंबई में चल रही 'पंचायत आज तक' में महाराष्‍ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव और प्रदेश के विकास पर विचार-मंथन जारी है. इस कार्यक्रम में कई नामी‍-गिरामी शख्‍स‍ियतें शिरकत कर रही हैं. इस सेशन का विषय है, मराठी का मुद्दा. राजनेता किरीट सोमैया, संजय निरुपम, अबू आजमी और बालानंदगांवकर पंचायत आज तक में अपनी राय रख रहे हैं...

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पंचायत आज तक
पंचायत आज तक

मुंबई में चल रही 'पंचायत आज तक' में महाराष्‍ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव और प्रदेश के विकास पर विचार-मंथन जारी है. इस कार्यक्रम में कई नामी‍-गिरामी शख्‍स‍ियतें शिरकत कर रही हैं. इस सेशन का विषय है, मराठी का मुद्दा. राजनेता किरीट सोमैया, संजय निरुपम, अबू आजमी और बालानंदगांवकर पंचायत आज तक में अपनी राय रख रहे हैं...

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सवालः मराठी का मुद्दा क्या है? ये वोट की राजनीति का मुद्दा कैसे बन जाता है.
बालानंदगांवकरः आपका सवाल गलत है. ये मेरी मातृभाषा है. इस देश में भाषिक आधार पर राज्य बने हैं. हम महाराष्ट्र में रहते हैं. ये भाषा का, इसके सम्मान का मुद्दा हमारा मुद्दा है.

सवालः क्या इससे भुखमरी, गरीबी दूर हो जाएगी.
बालानंदगांवकरः इसके लिए सत्ता में बैठे जिम्मेदार लोगों से पूछा जाना चाहिए. महाराष्ट्र के लोग सरकार को कर देते हैं. सरकार को उन्हें सुविधा देनी चाहिए. विपक्ष के तौर पर हमारी भी जिम्मेदारी है.

सवालः शिवसेना भी मराठी मानूष पर खड़ी है. क्या कहना है युति के सहयोगी के तौर पर
किरीट सोमैयाः हम भाषा को वोटों की राजनीति से नहीं तौल सकते. महाराष्ट्र में मराठी राज्यभाषा है. ये यहां की संस्कृति और अस्मिता को दिखाती है. शिवसेना हो या बीजेपी, ये सभी के लिए सम्मान और अधिकार का विषय है. मुंबई में या महाराष्ट्र में रहने वाला हर शख्स यही सोचता है. मगर ये चुनावी मुद्दा नहीं है. ये उसके सम्मान को कम करने वाला रवैया है.

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सवालः मगर गैरमराठी भाषी लोगों को ये एहसास कराया जाता है कि वे दोयम दर्जे के हैं या कुछ गलत कर रहे हैं.
अबू आजमीः देखिए मैंने हिंदी में शपथ ली. मराठी में नहीं ली. इसका मकसद किसी भाषा का अपमान करना नहीं था. मगर लोगों ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया. हिंदी मेरी मां है तो मराठी मेरी मौसी है. मुंबई एक इंटरनेशनल शहर है. यहां हर तरह के लोग हैं. अलग-अलग राज्य हैं. वहां किस भाषा में बोलें. मेरे ख्याल से ये काम हिंदी करती है.
किरीट सोमैयाः अगर कोई यहां पला बढ़ा है. और फिऱ भी यहां की भाषा नहीं बोलता. तब भी इसे चुनावी मुद्दा नहीं बनाना चाहिए.
बालानंदगांवकरः हिंदी राष्ट्र भाषा नहीं संपर्क भाषा है. मगर जिस भाषा के लोग आपको चुनकर बोलते हैं, क्या आपको उसका सम्मान नहीं करना चाहिए. मैं यहां आया हूं. हिंदी में आप सवाल पूछ रहे हैं. मैं जवाब दे रहा हूं. तो मैं हिंदी का सम्मान कर रहा हूं. ये कोई थोपने की बात नहीं है.
अबू आजमीः आप हमें शिक्षा मत दीजिए. हमें मराठी भी आती है. बोलूंगा तो ये कहने लगेंगे, हमारे दबाव में बोल रहे हैं.

सवालः उत्तर भारतीयों पर अत्याचार होता है और महाराष्ट्र सरकार चुप रहती है
संजय निरूपमः ये आप नहीं कह सकते. मनसे नेताओं के खिलाफ इस मुद्दे पर पूरे राज्य में 900 मुकदमे दर्ज हुए हैं.
अबू आजमीः मगर आज तक कोई जेल नहीं गया. ये अंदर की बात है.
संजय निरूपमः सरकार और पुलिस एक प्रक्रिया के तहत काम करती है. मनसे जैसी तमाम पार्टियां आएंगी और जाएंगी. हम उनकी विचारधारा को कभी स्वीकार नहीं करते. हम सभी भाषाओं को साथ लेकर चलते हैं. सभी का सम्मान करते हैं.

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सवालः मनसे के आक्रामक अभियान के चलते मजदूरों को यहां से भागना पड़ा
बालाः आपको लगता है कि हमें दंगा मचाना अच्छा लगता है. कोर्ट जाना अच्छा लगता है.

सवालः एक महिला जो मजदूर की पत्नी थी. उसने ट्रेन में बच्चे को जन्म दिया. आप इस तकलीफ का मतलब समझते हैं.
बालाः हमें खुशी नहीं है. कभी कभी ऐसी घटनाएं होती हैं कि जो लाइलाज हो जाती हैं.
संजय निरूपमः सवाल ये है कि मुंबई किसकी है. महाराष्ट्र की राजधानी है. मराठी लोगों का अपना हक बनता है. मगर इस शहर को बनाने में गैर मराठी भाषियों का भी बहुत योगदान है. पारसी, गुजराती, उत्तर भारत के मजदूर लोग, ऑफिस का काम करने वाले साउथ के लोग. इन सबके योग से मुंबई का दर्जा बड़ा हुआ. यहां एक भाषा या जाति के नाम पर लोग परेशान किए जाएंगे तो मुंबई की ताकत कम होगी.
बालाः देश के कोने कोने से लोग यहीं क्यों आते हैं भर्ती के लिए. अपने राज्य में क्यों दाखिल नहीं होते. हमारे बच्चों को नौकरी क्यों न मिले.
संजय निरूपमः रेलवे की बात क्लियर कर देता हूं. 2003 में बिहार के लोगों को कल्याण में मनसे के लोगों ने मारा. तब वाजपेयी जी की सरकार थी. शिवसेना भागीदार था. हम सब उस पार्टी में थे. तब बोला जाता कि इस भर्ती व्यवस्था को बदला जाए. आपने उन बच्चों पर हमला किया जो खुद को डिफेंड नहीं कर सकते थे. ये तरीका गलत था.
बालाः जब हम शिवसेना में थे, तो सुप्रीमो बाला साहेब थे. उनके आदेश का पालन करना हमारा काम था. हमारा यही कहना है कि महाराष्ट्र में भर्ती हो, तो यहां के लोगों को प्राथमिकता मिले.
किरीट सोमैयाः मुंबई में मराठी भाषा की अस्मिता को ऊपर का स्थान मिलना चाहिए. लेकिन इसके लिए किसी को मारना गलती है. मगर इसका राजनीतिक फायदा उठाना भी पाप है.
अबू आजमीः आपने कौन सी आग बुझाई. आप भी तो इन लोगों के साथ थे. आपने पानी डाला क्या इस आग पर.

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सवालः आखिर इस किस्म की राजनीति कब तक चलेगी?
संजय निरूपमः बीजेपी की दुविधा है. शिवसेना को पकड़ें या मनसे को. मोदी जोर लगा देते हैं कि मनसे उनके खिलाफ मैदान में न आए.
बालाः ये आरोप गलत है. कई जगह हम मैदान में आए और जोरदारी से लड़े. रही मारपीट की बात, तो ये गलत है.
अबू आजमीः मनसे की हिंसा के चलते कई मजदूरों और चौकीदारों की मौत हो गई.
बालाः आपके आजमगढ़ के लोग यहां आकर हत्या कर भाग जाते हैं.
अबू आजमीः आजमगढ़ के, यूपी के, बिहार के लोगों ने मुंबई को सजाया है. कहां बात को ले जा रहे हैं आप.
बालाः आपको क्या लगता है कि हमने जानबूझकर गरीबों को पत्थर मार कर मार डाला.
अबू आजमीः आपको लगता है कि भिवंडी जैसे इलाकों में पावरलूम बिना उत्तर भारतीय मजदूरों के चलेंगे. लेकर आइए मराठी मजदूरों को.
बालाः हमारी पार्टी का कहना है कि जो जिस राज्य में रहे. उस राज्य की संस्कृति अपनाए. हम यहां यूपी बिहार की गोली दंगा की संस्कृति नहीं चाहते.
किरीट सोमैयाः मुझे इस बात का गर्व है. मेरे लोकसभा में 50 फीसदी से ज्यादा मराठी मतदाता हैं. मैं तीन लाख से ज्यादा वोट से जीता. जाहिर है कि मराठी भाषी संकुचित नहीं है. और हम नेता बैठे यूपी बिहार और मराठी करते रहते हैं. अब सुमित्रा महाजन मराठी हैं. मगर इसलिए वह स्पीकर नहीं बनीं. हिंदी भाषी इंदौर से वह जीतकर आईं. वह काबिल हैं, इसलिए उस पद तक पहुंचीं.
संजय निरूपमः मराठी भाषियों का मान सम्मान बहुत ऊपर है. नेताओं की राजनीति उसको छोटा करने का काम कर रही है. बाला कह रहे हैं कि यूपी बिहार के लोग क्रिमिनल हैं. क्या अरुण गवली, दाउद और छोटा राजन वहां से आए. क्रिमिनल को प्रांतीयता से जोड़ना कहां उचित है.

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जनता के सवाल

सवालः रेप पर अबू आजमी क्या अपने कमेंट पर अफसोस करते हैं.
अबू आजमीः मैंने ये कहा था कि इस्लाम में प्रावधान है कि रेप करने वाले को फांसी की सजा होनी चाहिए. मगर ये भी कहा था कि इस्लाम कहता है कि अगर कोई औरत अपने पति के अलावा किसी और के साथ गलत काम करती है, तो उसे भी सजा मिलनी चाहिए.
संजय निरूपमः इनकी इस बात का तो इनके बहू और बेटे ने ही विरोध कर दिया था.
अबू आजमीः सबको आजादी है. मेरी सोच है कि अनैतिक रिश्ते नहीं बनने चाहिए. मेरी बात को गलत समझा गया. रेप में लेडी कैसे गुनहगार हो सकती है. मैंने सेक्सुअल एक्टिविटी की बात की थी.

सवालः बड़े जिम्मेदार राजनेता बैठे हैं. बहस हो रही है. आप मतों के चक्कर में भाषण देते हैं. उस फेर में लोग मारे जाते हैं. क्या आपको इंसानी जीवन की कोई कद्र नहीं.
बालाः कोई भी हो, पूरी कीमत है. ये गलत आरोप है.

सवालः एक स्टडी में बताया गया कि नेताओं की हर चुनाव के बाद संपत्ति बढ़ जाती है. अबू आजमी की संपत्ति तो विजय माल्या से भी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. मैं ये जानना चाह रहा हूं कि आपका लेटेस्ट असेट डिक्लेरेशन क्या है और इसका राज क्या है.
अबू आजमीः जब मैं फॉर्म भरूंगा तो आप इलेक्शन कमीशन की साइट पर जाकर देख लीजिएगा.

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सवालः विकास के अलावा मुद्दा सुरक्षा का है. आतंकवादी हमले हो चुके हैं.
किरीट सोमैयाः इस विषय में आपकी चिंता जायज है. सरकार को इस मसले पर अधिक तीव्रता और गंभीरता की जरूरत है. टेरर विक्टिम का पुनर्वास मैं खुद करने में जुटा हूं. सरकार फिलहाल सुस्त है. हमारा करकरे तो चला गया. मगर अभी तक बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं आ पाई. टेंडर में ही करप्शन पाया गया. हमारी सरकार आतंकवाद के खिलाफ फोर्स को सुसज्जित करने को टॉप प्रायॉरिटी देगी.
संजय निरूपमः नरेंद्र मोदी ने अवैध बांग्लादेशियों को भगाने की बात कही. मगर पीएम बनने के बाद बांग्लादेशियों को वीसा देने की बात करने लगे.
किरीट सोमैयाः कांग्रेसी अभी सदमे से बाहर नहीं आए हैं. हम अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ हैं. वीजा निराश्रित लोगों को दिया जाएगा.

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