क्या आपके मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करने के लिए मोबाइल ऑपरेटर की ओर से आपको बार-बार कहा जा रहा है? अगर आप सोच रहे हैं कि इसकी कोई जल्दी नहीं है और सरकार इस बारे में अपने फैसले पर दोबारा विचार करेगी तो ठहरिए और सावधान हो जाइए. जान लीजिए कि सरकार इस मामले में अपने कदम पीछे नहीं खींचने जा रही.
सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करने की जो डेडलाइन तय है उसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा. अगर आपने 6 फरवरी 2018 तक मोबाइल नंबर को आधार से लिंक नहीं किया तो आपका मोबाइल कनेक्शन डी-एक्टीवेट हो जाएगा.
बता दें कि मोबाइल को आधार से लिंक करने का देश में कई स्तर पर व्यापक विरोध हो रहा है. वहीं सरकार का मानना है कि केंद्रीय स्तर पर पहचान की ये अकेली प्रक्रिया है और इसका फर्जी तरीके से दुरुपयोग नहीं किया जा सकता.
जहां तक सरकार के इस कदम के विरोध की बात है तो अभी हाल में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था, ‘मैं अपना मोबाइल आधार से लिंक नहीं करूंगी, चाहे तो वे मेरा फोन काट सकते हैं.
जब से सरकार ने मोबाइल ऑपरेटर्स को मोबाइल को आधार से लिंक करने का निर्देश दिया है देश में 50 करोड़ उपभोक्ता इस निर्देश का पालन कर चुके हैं. अब भी देश में 60 करोड़ उपभोक्ता ऐसे हैं जिन्हें अपने मोबाइल को आधार से लिंक करना बाकी है.
विरोध करने वाले दलील दे रहे हैं कि आधार को विभिन्न योजनाओं और सुविधाओं से जोड़ना उनकी नागरिक स्वतंत्रता और निजता का अतिक्रमण है. बता दें कि आधार से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है.
याचिकाकर्ताओं को अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की पीठ के एक फैसले से उम्मीद बंधी थी. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 और पार्ट 3 के तहत निजता को मौलिक अधिकार बताया था.
याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट से आधार मामले में जल्दी निर्णायक सुनवाई के लिए आग्रह कर रहे हैं वहीं सरकार ने अपने दाखिल ताजा जवाब में सुनवाई मार्च तक टालने की गुजारिश की है. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बुधवार को सरकार की तरफ से पैरवी करते कहा कि इस मामले पर कोई भी आदेश तब तक रोके रहना चाहिए जब तक सरकार डेटा प्रोटेक्शन बिल का ड्राफ्ट तैयार करने की प्रक्रिया पूरी नहीं कर लेती. केंद्र सरकार ने इस प्रक्रिया को 31 जुलाई 2017 को शुरू किया था. सरकार उस आंशका को खत्म करने के लिए इस कदम को उठाया कि कहीं आधार को विभिन्न योजनाओं और सेवाओं के साथ लिंक करना अनिवार्य करने पर सरकार के पास जो वैयक्तिक डेटा है वो कहीं बाहर ना आ जाए. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अगुआई में समिति का गठन किया है जो डेटा प्रोटेक्शन के मानकों को तय करेगी.
इस बीच केंद्र ने कोर्ट में कहा है कि वो करीब 135 सरकारी कल्याण योजनाओं के लिए आधार को लिंक करने की डेडलाइन बढ़ाने के लिए तैयार है. हालांकि अभी तक इसका कोई आदेश या अधिसूचना नहीं आई है. सरकार ने कहा था कि डेडलाइन 31 दिसंबर 2017 से 31 मार्च 2018 तक बढ़ाई जा सकती है लेकिन सिर्फ उन्हीं के लिए जिनके अभी तक आधार कार्ड नहीं बने हैं.
ये नया घटनाक्रम झारखंड में 11 वर्ष की एक बच्ची की भूख से मौत के बाद राज्य सरकार को झेलनी पड़ी शर्मिंदगी के बाद आया. बताया जा रहा है कि लड़की के परिवार का राशनकार्ड हाल में रद्द कर दिया गया क्योंकि वो आधार से लिंक नहीं था.
केंद्र सरकारी योजनाओं के मामले और झारखंड जैसी घटना की स्थिति में छूट देने को तैयार है लेकिन मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करने के मामले में वो बिल्कुल पीछे हटने को तैयार नहीं है.
उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने इंडिया टुडे से कहा, ‘लोगों को निजता और पहचान में फर्क समझना चाहिए. आधार डेटा केंद्रीय डेटाबेस में स्टोर होता है और इसका खुलासा नहीं किया जा सकता. आधार कार्ड की नकल नहीं बन सकती. जब आधार नंबर की किसी भी सेवा से लिंकिंग की पुष्टि की जाती है तो डेटा सेंट्रल सर्वर से चलकर कहीं नहीं जाता. अगर किसी व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए और कदमों की जरूरत महसूस की जाएगी तो आईटी एक्ट में संशोधन करने के लिए भी सरकार तैयार है. बहरहाल, गेंद सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम में है.