‘सद्भावना मिशन’ के तहत अहमदाबाद में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के उपवास को नौटंकी करार देते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भाजपा के दमदार नेता के सामने वर्ष 2002 के सांप्रदायिक दंगों को लेकर तीखे नैतिक सवाल खड़े किये.
दिग्विजय ने कहा कि अगर गुजरात के मुख्यमंत्री को जनता का विश्वास हासिल करना है तो उन्हें पूर्व कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी के हत्याकांड में लगाये गये आरोपों के मद्देनजर जांच का सामना करना चाहिये. इसके साथ ही, प्रदेश में दंगों के दौरान उजड़े हजारों अल्पसंख्यक परिवारों को बसाने के लिये ठोस कदम उठाने चाहिये.
कांग्रेस महासचिव ने इंदौर में पार्टी के एक धरने के दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं नरेंद्र मोदी को इस बात के लिये बधाई देता हूं कि वह संघ के गुरु गोलवलकर का रास्ता छोड़कर महात्मा गांधी के पथ पर आ गये और कांग्रेस की बात मान ली. लेकिन उपवास, भजन-कीर्तन और लच्छेदार भाषण भर से बात नहीं बनेगी.’
उन्होंने मोदी से मांग की कि वह गुजरात दंगों के बाद बेघर होकर भटक रहे हजारों अल्पसंख्यक परिवारों का पुनर्वास करें और बेरोजगार लोगों को रोजगार दिलायें. दिग्विजय ने जोर देकर कहा कि मोदी को उन आरोपों के आधार पर खुद को जांच के सामने रखना चाहिये, जो दंगों में मारे गये जाफरी के परिजन ने गुजरात के मुख्यमंत्री पर लगाये हैं.
‘केवल नाटक नौटंकी से जनता का विश्वास हासिल नहीं होगा.’ उन्होंने मोदी से कहा, ‘तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में जिन लोगों ने दंगों में मुसलमानों को मारने की बात कबूल की है, आप उनकी जमानत जब्त कराके उन्हें वापस जेल भेजिये तो हम आपकी बात मानेंगे. वरना हम यही समझेंगे कि शैतान जिस तरह गीता का उपदेश देता है, वैसे ही नरेंद्र मोदी हमको उपदेश देने आये हैं.’
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मोदी के उपवास को लेकर कहा कि ‘गुजरात के मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया है कि गोलवलकर का रास्ता और दंगा फसाद कराना गलत है. लिहाजा अब उन्हें हिम्मत दिखाते हुए कहना चाहिये कि वह सबको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं.’
कांग्रेस महासचिव ने मोदी के कार्यकाल के दौरान गुजरात में विकास के चमकदार दावों को भी गलत बताया. उन्होंने कहा कि गुजरात में 10 फीसदी की विकास दर वर्ष 1990 से बरकरार है, जबकि मोदी ने वर्ष 2001 में मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की कमान संभाली.