नरेंद्र मोदी की टीम की रूपरेखा लगभग तय हो चुकी है. बीजेपी की चुनाव प्रचार समिति में कई दिग्गज नेताओं के नाम हो सकते हैं. हालांकि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, आडवाणी और जोशी इस टीम में शामिल नहीं होंगे.
जो लोग इस टीम में हो सकते हैं वे हैं मोदी के करीबी अमित शाह, अरुण जेटली, पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी, अनंत कुमार, रामलाल और वैंकैया नायडू. खबर है कि संसदीय बोर्ड की अगली बैठक में मोदी की टीम का ऐलान कर दिया जाएगा.
पार्टी की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष नरेंद्र मोदी की सशक्त उपस्थिति में हुई बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में निर्णय किया गया कि आगामी लोकसभा चुनाव में ‘सुशासन और विकास’ को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा और इन मुद्दों को भटकाने का प्रयास कर रही कांग्रेस को ऐसा नहीं करने दिया जाएगा. इन दोनों मुद्दों पर जवाबदेही के लिए उसे ‘मजबूर’ किया जाएगा.
बैठक में मोदी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को अधिकृत किया गया कि वे चुनावी तैयारियों के लिए पार्टी की दो सूत्री रणनीति को सफल बनाने के लिए विभिन्न समितियों का गठन करें. दो सूत्री रणनीति में राजनीतिक और संगठनात्मक अभियान शामिल है.
पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारक इकाई संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद वरिष्ठ नेता अनंत कुमार ने बताया, ‘मोदी और राजनाथ सिंह को अधिकृत किया गया है कि ये दोनों मिल कर चुनाव का रणनीतिक ढांचा तैयार करके पार्टी के चुनावी अभियान को आगे बढ़ाएं.’
कुमार ने कहा, 'बीजेपी आक्रामक चुनावी मोड़ में आ चुकी है. चुनाव की तैयारियों पर नजर रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी संसदीय बोर्ड सहित इसके लिए बनाई जाने वाली विभिन्न समितियों की हर सप्ताह या दस दिन में बैठकें हुआ करेंगी.
कांग्रेस को सीधे निशाने पर लेते हुए बीजेपी ने दावा किया, ‘यूपीए अंदर से टूट रहा है, उसमें बिखराव हो रहा है. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को यह भरोसा भी नहीं है कि संसद में खाद्य सुरक्षा विधेयक को सहयोगी दलों का समर्थन मिला पाएगा. इसीलिए इसे अध्यादेश के जरिए लागू किया गया.’
उन्होंने कहा कि सहयोगी दलों का समर्थन नहीं मिलने के भय से कांग्रेस संसद का मानसून सत्र बुलाने से भी डर रही है और इसीलिए अभी तक मानसून सत्र बुलाने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है.
अनंत कुमार ने कहा, ‘अपने सहयोगी दलों के इस असहयोग और दबाव के चलते कांग्रेस समय से पूर्व चुनाव करा सकती है. पहले ये चुनाव 2014 में होने थे लेकिन अब ये 2013-14 में हो सकते हैं. चुनाव जब भी हों, हम उसका सामना करने के लिए तैयार हैं और उसमें विजय हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे.’
उन्होंने बताया कि बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति पर गहन चर्चा की गई. बोर्ड की पिछली बैठक पिछले सप्ताह 4 जुलाई को हुई थी.
राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में उपस्थित सदस्यों में मोदी के अलावा लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, मुरलीमनोहर जोशी, अनंत कुमार और एम वेंकैया नायडु आदि शामिल हुए.
यह पूछे जाने पर कि पार्टी में मोदी का कद बढ़ाए जाने से नाराज आडवाणी क्या अभी भी गुस्से में हैं, कुमार ने कहा, ‘पूरी पार्टी का गुस्सा कांग्रेस के खिलाफ है.’
मोदी और राजनाथ सिंह को चुनावों की तैयारी और प्रचार के लिए जिन समितियों का गठन करने की बोर्ड ने अधिकृत किया है उनमें चुनाव घोषणा पत्र बनाने वाली समिति, चुनाव प्रचार सामग्री बनाने वाली समिति, संसदीय चुनावी सभाओं का कार्यक्रम बनाने वाली समिति, यूपीए शासन के विरुद्ध आरोप पत्र तैयार करने वाली समिति और राजग के पूर्व शासन तथा वर्तमान में बीजेपी शासित राज्यों की उपलब्धियों को बताने वाली समिति शामिल हैं. इन समितियों का अगले कुछ दिनों में गठन हो जाएगा.
संसदीय बोर्ड में फैसला किया गया कि चुनाव में बीजेपी के विजयी होने के लिए गांव-गांव और आखिरी बूथ तक कांग्रेस के कथित कुशासन, भ्रष्टाचार, महंगाई, घोटालों और आर्थिक बदहाली के मुद्दों पर बहस छेड़ी जाएगी और अटल बिहार वाजपेयी की पूर्व सरकार तथा बीजेपी शासित राज्यों के शासन को विकल्प के रूप में पेश किया जाएगा.
लोकसभा चुनावों की तैयारी के लिए ‘राजनीतिक अभियान’ के तहत बीजेपी के पक्ष में माहौल तैयार करने के वास्ते देश भर में 100 राजनीति सभाएं करने और विभिन्न सम्प्रदायों के सम्मेलन करने का बैठक में निर्णय किया गया. ‘संगठनात्मक रणनीति’ के तहत हर चुनावी बूथ तक मजबूत चक्रव्यूह रचना तैयार होगी.