रविवार को मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ. कुल 13 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली, इनमें से 4 ने कैबिनेट की तो 9 ने राज्य मंत्री पद की शपथ ग्रहण की. 4 मंत्रियों निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल और मुख्तार अब्बास नकवी का प्रमोशन हुआ. मोदी सरकार का ये तीसरा कैबिनेट फेरबदल था, जिसमें 32 मंत्रियों के पोर्टफोलियो बदले गए. कैबिनेट फेरबदल में कई सरप्राइज निकलकर सामने आए. किसी का कद बढ़ा तो किसी के कद में कटौती की गई. कुछ मंत्रियों से विभाग छिने गए तो कुछ को अतिरिक्त भार दिया गया.
कैबिनेट फेरबदल से फायदे में रहने वाले मंत्री
निर्मला सीतारमण:
निर्मला सीतारमण देश की पहली पूर्णकालिक रक्षा मंत्री बनीं. इससे पहले, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दो बार 1975 और 1980-82 में इस पोर्टफोलियो को संभाला, लेकिन वो पूर्णकालीन रक्षा मंत्री नहीं थीं. शपथ लेने वाले 13 मंत्रियों में निर्मला अकेली महिला थीं. रक्षा मंत्री होने के नाते, वह सबसे शक्तिशाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (CCS) की सदस्य होगीं. इस कैबिनेट फेरबदल में निर्मला सीतारमण ने सबसे लंबी छलांग लगाई. वो वाणिज्य मंत्रालय की राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से सीधे रक्षा मंत्री बनीं.
नितिन गडकरी:
पुरानी कैबिनेट मंत्रियों में नितिन गडकरी भी इस बदलाव से लाभप्रद रहे. सड़क परिवहन, राजमार्ग व जहाजरानी के अलावा गडकरी को अब नदी का विकास और गंगा कायाकल्प की भी जिम्मेदारी मिल गई है. अभी तक ये मंत्रालय उमा भारती पर था. गंगा की सफाई का मसला 2014 चुनाव के दौरान मोदी ने खूब उठाया था, बाद में इसके लिए अलग से मंत्रालय भी बनाया गया. गंगा सफाई की जिम्मेदारी अब गडकरी के कंधों पर होगी.
धर्मेंद्र प्रधान:
कैबिनेट फेरबदल में धर्मेंद्र प्रधान को भी अच्छे काम का तोहफा मिला. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अलावा अब उन पर कौशल विकास और उद्यमिता की भी जिम्मेदारी रहेगी. प्रधान को उनके काम से प्रमोशन मिला. सरकार बनने के बाद सब्सिडी को सीधे खाते में हस्तांतरित करने की पहल शुरू हुई, जिसके जरिए फर्जी कनेक्शनों को रोकने का अभियान चला और सरकार ने 21,000 करोड़ रुपए बचाए. धीरे-धीरे पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की पहल पर शुरू हुई यह योजना केन्द्र सरकार की फ्लैगशिप योजना बन गई. नरेंद्र मोदी सरकार के बीते तीन साल की उपलब्धियों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना बेहद अहम रही.
पीयूष गोयल:
मोदी कैबिनेट में पीयूष गोयल का भी प्रमोशन हुआ है. सुरेश प्रभु के रेल मंत्रालय छोड़ने के बाद पीयूष गोयल को रेल मंत्री बनाया गया है. पीयूष गोयल के पास कोयला मंत्रालय भी रहेगा. इससे पहले उन पर ऊर्जा मंत्रालय का जिम्मा था. ऊर्जा मंत्रालय में उनके काम को देखते हुए ही उन्हें रेलवे जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. पीयूष गोयल को बिजली और कोयला क्षेत्रों में सुधारों को लागू करने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के रिकॉर्ड विद्युतीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. राज्य के ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (REC) के अनुसार, 20, जून 2017 तक 13,685 गांवों का विद्युतीकरण किया गया है. शेष 4,141 गांवों को 2018 तक विद्युतीकृत किया जाना है.
राज्यवर्धन सिंह राठौड़:
सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी फायदे में रहे, जिन्हें खेल मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार का जिम्मा सौंपा गया है. वो सूचना प्रसारण मंत्रालय के राज्य मंत्री का कार्यभार संभालते रहेंगे.
मुख्तार अब्बास नकवी:
कैबिनेट फेरबदल में मुख्तार अब्बास नकवी का भी प्रमोशन हुआ. कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रोन्नत हुए मुख्तार अब्बास नकवी ने देश में आपातकाल के दौरान आंदोलनों में हिस्सा लेते हुए राजनीति में कदम रखने से लेकर केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने तक का सफर तय किया है. उन्हें भाजपा के प्रमुख अल्पसंख्यक चेहरे के तौर पर गिना जाता है. अभी तक अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे नकवी पर भरोसा जताते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रोन्नत किया है.C
गिरिराज सिंह:
सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम विभाग में राज्य मंत्री रहे गिरिराज सिंह को भी स्वतंत्र प्रभार मिल गया है.
कैबिनेट फेरबदल से नुकसान में रहे ये मंत्री
सुरेश प्रभु:
सुरेश प्रभु को सबसे बड़ा नुकसान हुआ है. हाल ही में हुए कई रेल हादसों के कारण उन्होंने अपने रेलवे मंत्रालय खो दिया. इसके बजाय उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का स्थान मिला, जिसे अब तक निर्मल सीतारामण द्वारा स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री के रूप में संभाल रही थीं.
उमा भारती:
उमा भारती को भी नवीनतम कैबिनेट फेरबदल में नुकसान हुआ है. जल संसाधन, नदी के विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय उनसे छिन लिया गया है. उन्हें अब पेयजल और सैनिटेशन की जिम्मेदारी दी गई है. उमा भारती ने शपथ ग्रहण समारोह में भी भाग नहीं लिया था.
विजय गोयल:
मंत्रिमंडल विस्तार में विजय गोयल को खेल मंत्रालय की जगह संसदीय कार्य राज्य मंत्री का प्रभार दिया गया है.