गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल :एसआईटी: के समक्ष आज उपस्थित नहीं हुए. एसआईटी ने राज्य में 2002 में हुए दंगों के सिलसिले में पूछताछ के लिए मोदी को आज अपने समक्ष उपस्थित होने के लिए सम्मन जारी किया था.
जांच दल के सूत्रों ने बताया कि एसआईटी को 11 मार्च को जारी सम्मन के संबंध में राज्य सरकार से कोई पत्र भी नहीं मिला है.
गांधीनगर में आज एसआईटी का कार्यालय खुला रहा और उसके सदस्य मोदी के हाजिर होने की संभावना के मद्देनजर दफ्तर में उपस्थित थे. लेकिन भाजपा नेता ने सम्मन की अनदेखी की और एसआईटी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। हालांकि, एसआईटी प्रमुख आर के राघवन शहर के बाहर हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 59 वर्षीय मोदी एसआईटी के 11 मार्च के सम्मन के मद्देनजर कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं. यह पहला मौका था जब किसी मुख्यमंत्री को दंगे के मामले में पूछताछ के लिए सम्मन जारी किया गया था.
मोदी को जाकिया जाफरी की शिकायत पर एसआईटी ने सम्मन जारी किया था. जाकिया कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा हैं. जाफरी की फरवरी 2002 में गुलबर्ग सोसाइटी में हुए दंगे में 69 अन्य लोगों के साथ उग्र भीड़ ने हत्या कर दी थी.
एसआईटी के समक्ष नहीं उपस्थित होने के लिए मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा कि यह ‘तिरस्कारपूर्ण’ है और मोदी छिपना पसंद करते हैं.
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने नयी दिल्ली में कहा, ‘‘एसआईटी का नरेंद्र मोदी को अपने समक्ष हाजिर होने के लिए निर्देश देना दर्शाता है कि उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे को कितना गंभीर और महत्वपूर्ण मानता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी आधार या बहाने मोदी का गैरहाजिर रहना तिरस्कारपूर्ण है और यह दर्शाता है कि वह छिपना पसंद करते हैं.’’
भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी से जब यह पूछा गया कि क्या मोदी एसआईटी के समक्ष उपस्थित होंगे तो उन्होंने इसका सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, ‘‘गुजरात सरकार ने साफ कर दिया है कि वह कानून के अनुसार चलेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार ने हमेशा कानून का सम्मान और पालन किया है. उसके मन में उच्चतम न्यायालय के आदेशों और निर्देशों के प्रति अगाध सम्मान है.’’ उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 27 अप्रैल को एसआईटी को जाकिया की शिकायत की जांच करने का आदेश दिया था.