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NATGRID के सीईओ ने की थी बदसलूकी, इसलिए नहीं मिला एक्सटेंशन, एनडीएमए के सदस्यों ने दिया इस्तीफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों के हर कदम नजर बनाए हुए हैं. उनके दफ्तर में काम करने वाले हर अधिकारी के चयन में भी अब पीएमओ दखलअंदाजी कर रहा है. केंद्र सरकार ने गुरुवार को अपने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे अपने निजी स्टाफ में उन अधिकारियों को नियुक्ति ना करें जो यूपीए के मंत्रियों के साथ अहम पद पर काम कर रहे थे.

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जब अलग-अलग विभागों के अधिकारियों से मिले थे पीएम नरेंद्र मोदी
जब अलग-अलग विभागों के अधिकारियों से मिले थे पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों के हर कदम पर नजर बनाए हुए हैं. उनके दफ्तर में काम करने वाले हर अधिकारी के चयन में भी अब पीएमओ दखलअंदाजी कर रहा है. केंद्र सरकार ने गुरुवार को अपने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे अपने निजी स्टाफ में उन अधिकारियों को नियुक्ति ना करें जो यूपीए के मंत्रियों के साथ अहम पद पर काम कर रहे थे. इस आशय की खबर अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने दी है.

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अखबार के मुताबिक, पीएमओ की ओर से कैबिनेट सचिव ने फरमान जारी किया है कि पिछली सरकार में जो भी अधिकारी किसी मंत्री के निजी स्टाफ रहे हैं, उनके नाम पर विचार ना किया जाए. इस संबंध में औपचारिक निर्देश गुरुवार शाम को कार्मिक मामले के मंत्रालय द्वारा जारी कर दिया गया है. पहले खबर आई थी कि मोदी ने मौखिक तौर पर अपने मंत्रियों से कहा था कि जो अधिकारी यूपीए के करीबी रहे हैं उन्हें अपनी टीम का हिस्सा न बनाएं.

गौरतलब है कि हाल ही में पीएमओ ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के निजी सचिव के तौर पर 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक सिंह की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी. आलोक सिंह पिछली सरकार में पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के निजी सचिव रहे थे. इसके अलावा मोदी ने अभिनव कुमार और राजेश कुमार की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी. अभिवन कुमार को गृह राज्य मंत्री किरण रिजूजू ने अपना निजी सचिव बनाने का प्रस्ताव दिया था वहीं राजेश कुमार को विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह अपना निजी सचिव बनाना चाहते थे. आपको बता दें कि यूपीए में अभिनव कुमार शशि थरूर के निजी सचिव थे वहीं राजेश चंद्रेश कुमारी कटोच के निजी सचिव थे.

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NATGRID के सीईओ ने की थी बदसलूकी, इसलिए नहीं मिला एक्सटेंशन
जिस तरह से पीएमओ कांग्रेस के करीबी अधिकारियों को लेकर परहेज बरत रहा है उसी तरह कुछ ऐसा ही एक फैसला अब गृहमंत्रालय ने भी किया है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (नैटग्रिड)के पूर्व रघु रमन के कार्यकाल को बढ़ाने से इनकार कर दिया था. उनका कार्यकाल 31 मई को खत्म हुआ था. 'द इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक, खुफिया विभाग की रिपोर्ट के आधार पर रघु रमन का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया. दरअसल, इस रिपोर्ट में रघु रमन द्वारा विदेश नागरिकों के साथ बदसलूकी करने की बात कही गई है. आपको बता दें कि रघु रमन की नियुक्ति यूपीए सरकार ने 1 दिसंबर 2009 को थी. उनके खिलाफ आईबी की रिपोर्ट यूपीए सरकार से भी साझा किया गया था जिसे नजरअंदाज कर दिया गया. हालांकि जब रघु रमन के कार्यकाल बढ़ाने की फाइल राजनाथ सिंह के पास आई तो आईबी की इस रिपोर्ट को गृहमंत्री से साझा किया गया जिसके बाद उन्होंने कार्यकाल नहीं बढ़ाने का फैसला किया.

एनडीएमए के सदस्यों ने दिया इस्तीफा, औरों से भी मांगा इस्तीफा
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष एम.शशिधर रेड्डी और इसके सदस्यों ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. सरकार ने उनसे इस्तीफे की मांग की थी और राष्ट्रीय महिला आयोग व बाल अधिकार आयोग के प्रमुखों से भी इस्तीफे की मांग की गई है. यह जानकारी विश्वस्त सूत्रों ने दी है. एनडीएमए के उपाध्यक्ष एम. शशिधर रेड्डी और कम से कम पांच अन्य सदस्यों के इस्तीफे की पुष्टि बाद में प्राधिकरण के एक अधिकारी ने की.

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