राष्ट्रपति भवन के फोरकोर्ट में गुरुवार शाम होने वाले मोदी सरकार के शपथग्रहण की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. लेकिन इस बीच देश भर में लोगों की जिज्ञासा और कयास इस बात को लेकर है कि इस बार कौन-कौन से नेता मंत्री बन सकते हैं. मंत्रियों को लेकर एनडीए, बीजेपी और आरएसएस के नेताओं में जमकर मंथन हुआ है. शीर्ष स्तर के सूत्र बताते हैं कि मोदी की कैबिनेट पहले से युवा होगी और आधे से ज्यादा मंत्री नए चेहरे हो सकते हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री के साथ 45 से 47 मंत्री शपथ ले सकते हैं. नए मंत्रियों को शामिल करने से न केवल नई ऊर्जा मिलेगी, बल्कि इस तरह से पार्टी जातिगत और भौगोलिक समीकरण की अपनी प्राथमिकता भी साधने की पूरी कोशिश करेगी. इस बार जेडीयू, एआईएडीएमके और शिवसेना जैसे सहयोगियों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी.
चुनाव हार गए हैं छह मंत्री
इस बार मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के छह मंत्री लोकसभा चुनाव हार गए हैं, इनमें अनंत गीते (भारी उद्योग मंत्री), हरदीप पुरी (शहरी विकास मंत्री), पी राधाकृष्ण (वित्त राज्य मंत्री), मनोज सिन्हा (रेल राज्य मंत्री) और अल्फोंस कन्नमथानम (पर्यटन राज्य मंत्री) शामिल हैं.
हरदीप सिंह पुरी को फिर से मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में एकमात्र क्रिश्चियन मंत्री रहे अल्फोंस की जगह बीजेपी के केरल प्रमुख वी. मुरलीधरन को जगह दी जा सकती है. सुषमा स्वराज, उमा भारती और बीरेंद्र सिंह ने चुनाव नहीं लड़ा है. इसी तरह विजय साम्पला और राजन गोहन को इस बार टिकट ही नहीं मिला था. इस तरह इस बार मंत्रियों की वैकेंसी काफी दिख रही है.
इसके अलावा संतोष गंगवार या राधा मोहन सिंह को 17वीं लोकसभा का स्पीकर बनाया जा सकता है. अरुण जेटली ने भी पीएम को लेटर लिखकर स्वास्थ्य कारणों से मंत्री न बनाने का अनुरोध किया है. सूत्रों के मुताबिक सुषमा स्वराज को गुजरात से राज्यसभा एमपी बनाया जा सकता है. गुजरात से अमित शाह और स्मृति ईरानी की राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं.
इस बार इस बात की भी मजबूत संभावना है कि पार्टी प्रमुख अमित शाह के अलावा दो महासचिवों अनिल जैन और भूपेंद्र यादव और दो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे और विनय सहस्त्रबुद्धे को भी मंत्री बनाया जा सकता है. जैन छत्तीसगढ़ के चुनाव प्रभारी थे और उन्होंने राज्य में बीजेपी को जबरदस्त सफलता दिलाई है.
नए चेहरों और अनुभव का संतुलन
सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी इस बार नए चेहरों और अनुभव दोनों का संतुलन साध सकते हैं. इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल और लोक जनशक्ति पार्टी भी एक-एक मंत्रालय चाहते हैं. ऐसा हो सकता है कि बीजेपी अपने छोटे सहयोगी दलों को एक राज्य मंत्री और बड़े सहयोगी दल को एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्रालय दे. बिहार से जेडीयू कोटा से कोई कैबिनेट मंत्री बन सकता है. इनमें बिहार सीएम के करीबी राज्यसभा सांसद राम चंद्र प्रसाद, उनके कैबिनेट सहयोगी दिनेश चंद्र यादव और ललन सिंह का नाम चल रहा है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक जेडीयू और शिवसेना दो कैबिनेट मंत्रालय मांग रहे हैं.
कुछ अन्य संभावित नामों की बात करें तो होशियारपुर से सांसद और पूर्व आईएएस अधिकारी दलित चेहरा सोम प्रकाश, तेलंगाना से पुराने संघ और बीजेपी के नेता जी. कृष्णन, बंगाल से बीजेपी नेता दिलीप घोष, खगेन मुर्मू, देबाश्री चौधरी, यूपी की रीता बहुगुणा जोशी, ओडिशा की अपराजिता सारंगी शामिल हैं. इसके अलावा यूपी, एमपी, राजस्थान, बिहार से कई नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है. बीजेपी के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों अनुराग ठाकुर और दुष्यंत सिंह को भी मंत्री बनाया जा सकता है.
असम के बीजेपी नेता हेमंत बिस्वा सरमा और विजय चौथाईवाले को मंत्री बनाया जा सकता है. विजयचौथाई वाले ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी के प्रमुख हैं और पुराने संघी हैं. इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह अपने बेटे को हिसार से टिकट मिलने की वजह से इस बार मंत्रिपरिषद से बाहर रहेंगे.