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यौन शोषण से भ्रष्टाचार तक, इन आरोपों पर मोदी सरकार ने जबरन रिटायर किए 12 अफसर

मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपत्ति, धन उगाही से लेकर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर मामलों में फंसे 12 आईआरएस अफसरों को जबरन रिटायरमेंट दिया है. जानिए किस अफसर पर क्या लगे थे आरोप.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

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नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया. अफसरों पर भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपत्ति, धन उगाही से लेकर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगे थे. वित्त मंत्रालय ने नियम 56 का इस्तेमाल करते हुए यह बड़ी कार्रवाई की. आरोपी अफसर, चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर और कमिश्नर जैसे पदों पर कार्यरत थे.

रूल 56 के तहत जिन अफसरों को रिटायर किया गया, उनमें 1985 बैच के आईआरएस अशोक अग्रवाल, एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985) प्रमुख हैं. इसके अलावा बीबी राजेंद्र प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव को भी जबरन रिटायर किया गया.

दरअसल, रूल 56 के प्रयोग से ऐसे अफसरों को चिह्नित कर जबरन सेवानिवृत्त किया जा सकता है, जो 50 से 55 साल की उम्र के हों, नॉन परफॉर्मर हों  और 30 साल की नौकरी पूरी कर चुके हों.

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अफसरों पर क्या थे आरोप

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आईआरएस अशोक अग्रवाल भ्रष्टाचार के मामले में 1999 से 2014 के बीच सस्पेंड थे.  उनके खिलाफ एक बिजनेसमैन से धनउगाही करने और तांत्रिक चंद्रास्वामी की मदद करने जैसे गंभीर आरोप लगे थे. 12 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने के मामले में भी सीबीआई ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी. वर्ष 2000 के शुरुआत में अग्रवाल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी हुई थी.

1989 बैच के एसके श्रीवास्तव पर कमिश्नर रैंक की दो महिला आईआरएस अफसरों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. वहीं, होमी राजवंश पर 3.17 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति गलत तरीके से अर्जित करने का आरोप रहा. अजॉय कुमार सिंह के खिलाफ भी सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो ने केस दर्ज किया था.

वह अक्टूबर, 2009 में सस्पेंड भी हुए थे. इसी तरह भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपत्ति और धनउगाही के आरोप की जद में आलोक कुमार मित्रा  चांदर सेन भारती भी आए. भारती पर आरोप रहा कि उन्होंने ज्ञात साधनों से 133.71 प्रतिशत से ज्यादा की संपत्ति अर्जित की. उन पर हवाला से भी पैसे ट्रांसफर करने के आरोप रहे. सूत्रों के मुताबिक, कमिश्नर रैंक के एक अन्य अफसर रविंदर को सीबीआई ने 50 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया था.

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वह 81 लाख रुपये की संपत्ति का भी हिसाब नहीं दे पाए थे. बत्रा को 2005 में सीबीआई ने उनके खिलाफ पद का  दुरुपयोग करते हुए 1.27 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति के मामले में केस दर्ज किया था. इसी तरह सुमन पर एक बिजनेसमैन को राहत पहुंचाने के बदले में 50 लाख रुपये मांगने का आरोप लगा था.

 

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