शनिवार शाम से अटकलें लगाई जा रही थीं कि कुछ टेलीकॉम प्रोवाइडर्स ने देश में पोर्न वेबसाइट्स को ब्लॉक करना शुरू कर दिया है. खबर आई कि सबसे मशहूर 13 में 11 ऐसी वेबसाइट्स के एक्सेस को चुपके से बंद कर दिया गया है, वहीं अब एक अंग्रेजी अखबार ने खबर दी है केंद्र सरकार ने प्रोवाइडर्स को 857 पोर्न साइट्स को ब्लॉक करने के आदेश दिए हैं.
अंग्रेजी अखबार 'इकोनॉमिक टाइम्स' की रिपोर्ट में कहा गया है, 'टेलीकॉम डिपार्टमेंट की तरफ से शुक्रवार शाम को 857 पोर्न वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का ऑर्डर दिया गया है. यही कारण है कि टेलीकॉम कंपनियों ने कुछ साइट्स को ब्लॉक कर दिया है.'
हालांकि, दो शीर्ष टेलीकॉम कंपनी के एग्जीक्यूटिव के हवाले से रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वह तब तक पोर्न साइट्स पर पाबंदी नहीं लगाएंगे, जब तक सरकार यह साफ नहीं कर देती कि किन साइट्स को ब्लॉक करना है और किसे नहीं.
दूसरी तरफ, पोर्न साइट्स ब्लॉक होने से देशभर में इंटरनेट यूजर्स में खासी नाराजगी है और उन्होंने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के जरिए विरोध जताना शुरू कर दियाह है. रविवार सुबह तक #पोर्न_बैन और #porn_ban हैशटैग टि्वटर के टॉप ट्रेंड में शुमार था. दिलचस्प है कि सरकार की ओर से पोर्न वेबसाइट्स को बैन करने का फैसला तब अया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही ऐसा करने से इनकार कर दिया था.
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही पोर्न साइटों पर बैन लगाने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि कोई किसी को चार दीवारों के पीछे पोर्न देखने से कैसे रोक सकता है.
चीफ जस्टिस एचएल दत्तु ने बैन से इनकार करते हुए कहा था, 'कोर्ट की ओर से पास ऐसा कोई अंतरिम आदेश आर्टिकल 21 का उल्लंघन है, जो किसी भी नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता देता है. अगर ऐसा होता है तो कल को कोई भी वयस्क आकर यह कह सकता है कि आप मुझे मेरे कमरे में चारदीवारी के अंदर पोर्न देखने से कैसे रोक सकते हैं?'
एचएल दत्तु की ओर से यह टिप्पणी उस समय आई, जब इंदौर के एक वकील कमलेश वासवानी ने एक पीआईएल दाखिल कर सभी पोर्न साइट्स पर बैन लगाने की मांग की थी. चीफ जस्टिस ने कहा था कि इस ओर गंभीर रूप से विचार कर सरकार को एक निर्णय लेने की जरूरत है.