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मालदीव पर स्वामी के बयान से मोदी सरकार ने किनारा किया

अपने विवादास्पद बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के मालदीव पर दिए बयान को केंद्र सरकार ने उनकी निजी राय बताते हुए किनारा कर लिया है.

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भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी

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विदेश मंत्रालय नें भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा मालदीव को लेकर दिए गए बयान से खुद को अलग किया है. स्वामी ने कहा था कि यदि मालदीव के आगामी राष्ट्रपति चुनावों में गड़बड़ी होती है तो भारत को मालदीव पर हमला बोल देना चाहिए.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि स्वामी द्वारा ट्वीटर पर व्यक्त किए विचार उनके व्यक्तिगत विचार हैं और यह भारत सरकार के विचार को प्रतिबिंबित नहीं करता.

गौरतलब है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने बुधवार को कोलंबो में स्वामी के साथ एक बैठक के दौरान शंका जताई थी कि उनके देश में 23 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पार्टी द्वारा गड़बड़ी की जा सकती है.  

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जिसे लेकर स्वामी ने ट्वीट कर लिखा कि "अगर मालदीव में चुनाव के दौरान गड़बड़ी होती है तो भारत को हमला बोल देना चाहिए."

उल्लेखनीय है कि भारत और मालदीव के रिश्ते यामीन द्वारा फरवरी माह में लगाए गए आपातकाल के बाद से खराब हुए हैं. यह आपातकाल तब लगा था जब जनवरी-फरवरी के महीने में जब मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने विरोधी नेताओं की रिहाई के आदेश दिए तो यामीन सरकार ने उसकी नाफरमानी करते हुए शीर्ष अदालत के जजों को भी गिरफ्तार करते हुए विरोधी नेताओं पर फिर से मुकदमा चलाने का आदेश दिया और इसी के साथ देश में आपातकाल की घोषणा की.

इस आपातकाल पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मालदीव सरकार की आलोचना करते हुए यामीन से विरोधी दलों के नेताओं को रिहा करने की अपील की थी. भारत सरकार ने इसपर सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वो किसी भी देश के आंतरिक मामलों में दखल देने के खिलाफ है. लेकिन मालदीव की यामीन सरकार को लोकतंत्र की मूल भावनाओं को समझना चाहिए.

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