केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के उप वर्गीकरण के मुद्दे पर विचार के लिये एक आयोग गठित करने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही ओबीसी के लिए ‘क्रीमी लेयर’ की आय सीमा में दो लाख रूपये का इजाफा करके इसे आठ लाख रूपये प्रति वर्ष कर दिया गया.
सरकार ने मौजूदा आरक्षण व्यवस्था पर किसी तरह के पुनर्विचार से इनकार किया है. वित्त अरूण जेटली ने बताया कि केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए तय सीमा में बढ़ोतरी करने के फैसले के बारे में केंद्रीय मंत्रिमंडल को औपचारिक रूप से अवगत कराया गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में असम में इसका संकेत दिया था कि क्रीमी लेयर को परिभाषित करने वाले मानक को बढ़ाया जाएगा और इस संदर्भ में कैबिनेट को औपचारिक रूप से सूचित करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया था कि आठ लाख रूपये प्रति वर्ष से अधिक की आय वाले ओबीसी परिवारों को क्रीमी लेयर माना जाए. एक सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को फैसले के तहत लाने के प्रस्ताव पर ‘सक्रियता से विचार’ किया जा रहा है.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ओबीसी के उप वर्गीकरण के मुद्दे पर विचार के लिये एक आयोग गठित के निर्णय को मंजूरी दी गई. यह आयोग अपने अध्यक्ष की नियुक्ति की तिथि से 12 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा, इस आयोग को अन्य पिछड़ा वर्गो के उप वर्गीकरण पर विचार करने वाले आयोग के नाम से जाना जायेगा.
आयोग की सेवा शर्तो में कहा गया है कि यह ओबीसी की व्यापक श्रेणी समेत जातियों और समुदायों के बीच आरक्षण के लाभ के असमान वितरण के बिन्दुओं पर विचार करेगा जो ओबीसी को संघ सूची में शामिल करने के संदर्भ में होगा.
आयोग को ऐसे अन्य पिछड़ा वर्ग के उप वर्गीकरण के लिये वैज्ञानिक तरीके वाला तंत्र, प्रक्रिया, मानदंड और मानक का खाका तैयार करने के साथ ही संघ सूची में दर्ज ओबीसी के समतुल्य संबंधित जातियों, समुदायों, उप जातियों की पहचान करने की पहल करनी है एवं उन्हें संबंधित उप श्रेणियों में वर्गीकृत करना है.
जेटली ने ओबीसी की तर्ज पर अनुसूचित जातियों में उप श्रेणी बनाने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘ न तो सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव है और न आगे ऐसा कोई प्रस्ताव होगा.’’ देश के नौ राज्यों आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पुदुचेरी, कर्नाटक, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में पहले ही अन्य पिछड़ा वर्ग का उप वर्गीकरण किया जा चुका है.