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Modi@4: चार साल में चार-पांच मंत्री, इन दो मंत्रालयों पर कन्फ्यूज दिखी मोदी सरकार

सरकार के गठन के समय 26 मई, 2014 को प्रकाश जावड़ेकर को सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया. लेकिन कुछ ही महीनों के बाद 9 नवंबर, 2014 को हुए फेरबदल में उन्हें यहां से हटा दिया गया. 

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चार साल में मंत्रालयों में हुए कई फेरबदल
चार साल में मंत्रालयों में हुए कई फेरबदल

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मोदी सरकार के चार साल के कार्यकाल में यूं तो कई मंत्रियों के विभाग बदले और कई मंत्रालयों में मंत्री बदले गए लेकिन दो मंत्रालय ऐसे रहे जहां नए मंत्रियों का आना और पुराने का जाना लगातार चलता रहा. हाल ये है कि जब मोदी सरकार अपने चार साल पूरे कर रही है तब देश चार रक्षामंत्री और पांच सूचना एवं प्रसारण मंत्री देख चुका है

सरकार के गठन के समय 26 मई, 2014 को प्रकाश जावड़ेकर को सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया. लेकिन कुछ ही महीनों के बाद 9 नवंबर, 2014 को हुए फेरबदल में उन्हें यहां से हटा दिया गया.  

जावड़ेकर की जगह वित्त मंत्री अरुण जेटली को 9 नवंबर, 2014 को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. हालांकि उनके पास भी इस मंत्रालय का प्रभार 5 जुलाई, 2016 तक ही रहा. 5 जुलाई, 2016  को इस मंत्रालय का प्रभार बीजेपी के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू को सौंपा गया. वह इस पद पर करीब एक साल 17 जुलाई, 2017 तक रहे, क्योंकि उन्हें भारत के उप राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी ने उम्मीदवार बना दिया.

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स्मृति ईरानी का कार्यकाल

इसके बाद मोदी सरकार की तेज-तर्रार मंत्री स्मृति ईरानी को सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया. उन्होंने 18 जुलाई, 2017 को मंत्रालय का प्रभार संभाला. लेकिन वह भी ज्यादा समय तक इस पद पर नहीं रह पाईं. 14 मई, 2018 को फिर एक फेरबदल में स्मृति ईरानी से यह मंत्रालय छीन लिया गया. उनकी जगह राज्यवर्धन सिंह राठौर को सूचना एवं प्रसारण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया.

स्मृति ईरानी से सूचना एवं प्रसारण जैसा महत्वपूर्ण विभाग क्यों छीना गया, इसको लेकर तमाम खबरें सामने आईं. फेक न्यूज को लेकर पत्रकारों पर बैन का प्रस्ताव, पद्मावती की रिलीज पर बवाल, आईएफएफआई में दो फिल्मों को नहीं दिखाया जाना, सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष को बदलना, दिन के समय टीवी से कंडोम के ऐड हटवाना, फिल्म पुरस्कारों के वितरण के दौरान राष्ट्रपति का सीमित अवधि के लिए मौजूद रहना कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिसके चलते ये मंत्रालय लगातार सुर्खियों में रहा.

रक्षा मंत्रालय में भी लगातार फेरबदल

सरकार गठन के समय 26 मई, 2014 को अरुण जेटली को देश का पहला रक्षा मंत्री बनाया गया. हालांकि वह इस पद पर कुछ ही महीने रह पाए. फेरबदल में उन्हें 9 नवंबर, 2014 को इस मंत्रालय से हटा दिया गया. उनकी जगह गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर को देश का नया रक्षा मंत्री बनाया गया.

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मनोहर पर्रिकर का कार्यकाल थोड़ा लंबा जरूर रहा, लेकिन 13 मार्च, 2017 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उनका नाम फिर से गोवा के मुख्यमंत्री पद के लिए तय हो गया था. उन्हीं के कार्यकाल में 28-29 सितंबर, 2016 को भारतीय सेना के वीर जवानों के द्वारा एलओसी के पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक की गई.

यह मंत्रालय फिर एक बार अरुण जेटली को सौंपा गया. लेकिन अरुण जेटली के पास इसका अतिरिक्त प्रभार था. इसलिए इस पद पर किसी पूर्णकालिक रक्षा मंत्री को लाया जाना जरूरी था. हालांकि, जेटली के कार्यकाल के दौरान ही सरकार ने अपने वादे को निभाते हुए लंबे समय से लंबित वन रैंक वन पेंशन को लागू किया.

3 सितंबर, 2017 को निर्मला सीतारमण को देश का नया रक्षा मंत्री बनाया गया. ऐसा दूसरी बार हुआ है जब किसी महिला को रक्षा मंत्रालय दिया गया है. इसके पहले इंदिरा गांधी पीएम रहते हुए रक्षा मंत्री रह चुकी थीं. जेएनयू की छात्रा रहीं निर्मला सीतारमण के वाणिज्य मंत्रालय में कामकाज से पीएम मोदी खुश थे, इसलिए उन्हें प्रमोट करते हुए एक महत्वपूर्ण विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया.

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