बजट सेशन का दूसरा हिस्सा बुधवार को समाप्त हो गया और सेशन के आखिरी दिन मोदी सरकार ने कुछ ऐसे फैसले किए, जिनसे मार्केट में कुछ तेजी और कारोबार जगत में मुस्कुराहट लौटी. सरकार ने इस सेशन में जीएसटी और भूमि बिल जैसे बिल भी पेश किए, लेकिन विपक्ष उनको लेकर सहमत नहीं हैं. जानिए मोदी सरकार के किन 5 फैसलों से मार्केट की मुस्कुान लौटैगी.
1. बेनामी ट्रांजैक्शन
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार बेनामी ट्रांजैक्शन संशोधन बिल 2015 को मंजूरी देकर बड़ा कदम उठाया. इससे देश में
कालेधन पर लगाम कसी जा सककेगी और बेनामी प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त और अवैध रूप से की गई खरीदारी पर भी
रोक लगाई जा सकेगी. इस कानून के तहत अगर कोई भी व्यक्ति कानून का उल्लंघन करते हुए पाया गया, तो न
केवल उसकी संपत्ति जब्त होगी बल्कि उसे सजा भी दी जा सकेगी.
2. नमामि गंगे
गंगा की सफाई और संरक्षण से जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ को बुधवार को कैबिनेट ने
मंजूरी दे दी और इसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई
कैबिनेट की बैठक में ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम को मंजूरी दी गई, जिसके अंतर्गत एकजुट प्रयासों से गंगा नदी को व्यापक
ढंग से स्वच्छ और संरक्षित किया जाएगा.
3. NTPC और IOC
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिजली उत्पादक कंपनी NTPC में अपनी पांच फीसदी और इंडियन आयल कॉरपोरेशन (IOC) में 10
फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश के प्रस्तावों को भी हाल में मंजूरी दी. इन शेयरों की बिक्री से मौजूदा बाजार मूल्य पर
13,000 करोड़ रुपये से अधिक मिलने की उम्मीद है.
4. सड़कों के लिए पॉलिसी
केंद्र सरकार ने बुधवार को रोड सेक्टर के लिए नई एग्जिट पॉलिसी को मंजूरी दी. इससे पहले इस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी. इन कंपनियों को अपना प्रोजेक्ट पूरा होने के दो साल बाद उससे बाहर निकलने की अनुमति होगी और साथ ही भविष्य की परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने में भी आसानी होगी. NHAI इसके तहत रुके हुए प्रोजेक्ट्स के लिए पैसा उपलब्ध कराएगी.
5. नई यूरिया पॉलिसी
कैबिनेट ने बुधवार को नई यूरिया पॉलिसी को मंजूरी दी, जिसमें चार साल में देश को इस रासायनिक उर्वरक के उत्पादन में आत्म-निर्भर बनाना और किसानों को समय पर उर्वरक की पूरी आपूर्ति की व्यवस्था करना है. भारत सालाना करीब 2.2 करोड़ टन यूरिया का उत्पादन करता है पर इसकी घरेलू मांग पूरी करने के लिए करीब 80 लाख टन यूरिया आयात करनी पड़ती है. नई पॉलिसी का लक्ष्य समय पर किसानों को यूरिया की आपूर्ति करना और सब्सिडी के बोझ को तर्कसंगत बनाना है.