राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि हमारी सरकार देश के प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. अवैध घुसपैठियों से कानून के अनुसार निपटा जाएगा. स्मृति ईरानी ने कहा कि हम किसी भारतीय को बाहर नहीं निकालेंगे. हम देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए समपर्ति हैं.
ईरानी ने कहा कि ममता बनर्जी का आक्रामक रवैया राज्य के लोगों को केंद्र सरकार की ओर से मुहैया कराए जाने वाले लाभों से वंचित रख रहा है, जो कि किसानों, महिलाओं और बच्चों को मिल सकते थे. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद से लोग राज्य में बदलाव चाहते हैं.
इधर, एनआरसी के फाइनल लिस्ट पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने सवाल उठाए थे. बैठक में कहा गया कि एनआरसी एक बहुत जटिल मुद्दा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के कारण असम सरकार को इस बारे में सीमित समय में कार्य करना था. असम में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में घुसपैठिए गए हैं. वह मतदाता सूची में आ गए हैं, आधार कार्ड में आ गए. इसलिए एक तरीके से जटिल समस्या है. इस रिपोर्ट में कुछ कमियां भी हो सकती है. उन कमियों को दूर करते हुए, आगे बढ़ना चाहिए. पर उन्होंने जो किया है, उसका स्वागत करते हैं.
बता दें कि असम की भौगोलिक सीमा के भीतर रह रहे कुल 3,30,27,661 लोगों ने रजिस्टर में अपने नाम लिखवाने के लिए अर्जियां दी थीं, जिनमें से 19,06,657 बाहर रह गए हैं. पिछले साल लोकसभा चुनाव से आठ महीने पहले जब एनआरसी का ड्राफ्ट जारी हुआ, तब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इसकी जोरदार वकालत करते थे. वह बांग्लादेशी घुसपैठियों पर खासे मुखर थे.
संसद के अंदर से लेकर बाहर बांग्लादेशी घुसपैठियों को 'दीमक' संबोधित करते हुए अमित शाह कहते थे- देश भर में पता लगाकर घुसपैठियों को वापस भेजेंगे. अमित शाह उस वक्त असम ही नहीं देश के सभी राज्यों के लिए एनआरसी तैयार करने की बात कहते थे. उनके कई सहयोगियों ने भी ऐसी ही मांग उठाई.