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गर्मी में सूखे से निपटने के लिए सरकार तैयार: उमा भारती

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि भीषण गर्मी के चलते देश के किसी भी भाग में सूखे एवं पेजयल की समस्या उत्पन्न होती है तो उससे निपटने के लिए उनका मंत्रालय पूरी तरह तैयार है.

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उमा भारती
उमा भारती

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केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि भीषण गर्मी के चलते देश के किसी भी भाग में सूखे एवं पेजयल की समस्या उत्पन्न होती है तो उससे निपटने के लिए उनका मंत्रालय पूरी तरह तैयार है. उमा भारती ने शुक्रवार को दिल्ली में कहा कि हाल ही में उनके मंत्रालय ने 15 राज्यों के उच्च अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्याम से आने वाले स्थितियों का आंकलन किया और उससे निपटने के लिए मंत्रालय तैयार है. उन्‍होंने बताया कि मराठावाड़ा, बुंदेलखंड एवं अन्य सूखा आशंकित क्षेत्रों के जल स्रोतों के रखरखाव, संरक्षण एवं उन्हें पुनर्जीवित करने के साथ सिंचाई योजनाओं के लिए उनके मंत्रालय ने 300 करोड़ रूपए आवंटित किए हैं. इस पर जल्द ही काम शुरू होगा.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि झारखंड में उत्तरी कोयल नदी पर करीब 40 वर्षों से अधूरे पड़े बांधों के निर्माण का कार्य भी जल्दी पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यदि ये बांध समय पर बन जाते तो झारखंड के एक बड़े भू-भाग को सिंचाई के लिए जल की समस्या से नहीं जूझना पड़ता. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस कार्य को प्राथमिकता से पूरा करने को कहा है और केंद्र सरकार ने इसके लिए 1600 करोड़ रूपए की योजना तैयार की है जिस पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा.

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असम में ब्रह्मपुत्र नदी के मांजुली द्वीप का जिक्र करते हुए मंत्री जी ने कहा कि द्वीप में होने वाले कटाव को रोकने के लिए पर्याप्त अनुसंधान एवं विचार-विमर्श के बाद वहां जल्द कार्य शुरू किया जाएगा. इस परियोजना के लिए सरकार ने 230 करोड़ रूपए आवंटित कर दिए हैं इसमें से 166 करोड़ रूपये 27 किलोमीटर लंबे तटबंध को मजबूत करने के लिए खर्च किए जाएंगे. चालू वित्त वर्ष में इस पर 100 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे तथा परियोजना को तीन साल में पूरा कर लिया जाएगा. इस परियोजना में तट के कटाव को रोकने के लिए पारंपरिक उपायों के साथ-साथ जन सहयोग भी लिया जाएगा.

उमा भारती ने कहा कि विगत कुछ समय से पहाड़ी इलाकों के पारंपरिक जल स्त्रोतों को प्राकृतिक आपदाओं एवं जलवायु परिवर्तन से नुकसान पहुंचा है. इससे पहाड़ों में रहने वाले लोग पेयजल की समस्या एवं अन्य कारणों से पठारी क्षेत्रों की ओर पलायन करने लगे हैं. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने केंद्रीय भूजल बोर्ड को निर्देशित किया है कि हिमालय की जलधाराओं एवं झरनों को पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत परियोजना तैयार करें. उन्होंने कहा कि इस परियोजना में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत उत्तर-पूर्व के राज्यों को शामिल कर जल्द कार्य प्रारंभ किया जाएगा.

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केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में बांधों का डिजाइन इस प्रकार तैयार किया जाएगा कि नदी का बहाव पूरी तरह बंद न हो और बारह मास नदियां बहती रहें. उन्‍होंने कहा कि बांध परियोजनाओं के साथ पर्यावरण को बचाना भी उतना ही महत्वंपूर्ण है. जल के बिना पर्यावरण का संरक्षण संभव नहीं है.

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