केंद्र सरकार अब एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों का लोकसभा और विधानसभाओं में नामांकन बंद करने जा रही है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस संबंध में बुलाई गई बैठक में प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी. दूसरी ओर, लोकसभा में एससी और एसटी के आरक्षण को अगले 10 साल तक के लिए और बढ़ा दिया गया है.
सूत्रों के अनुसार, एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण की व्यवस्था 'कुछ समय के लिए' की गई थी. सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार का मानना है कि अब समुदाय अच्छा कर रहा है और उसे आरक्षण की आवश्यकता नहीं रह गई है. अगर जरूरत पड़ी तो बाद में आरक्षण पर फिर से विचार किया जा सकता है.
लोकसभा के अलावा राज्य विधानसभाओं से भी एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए आरक्षण वापस लिया जा सकता है. हालांकि, इस पर स्थिति साफ नहीं हो सकी.
इस बार एक भी एंग्लो-इंडियन नहीं
एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा कि एक बार बिल सदन पर रख दिया जाए, फिर पूरी जानकारी मिल जाएगी.
लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, लोकसभा में 2 सीट एंग्लो-इंडियन लोगों के लिए आरक्षित है और इस समुदाय के लोगों में से 2 लोगों को नामित किया जाता है, लेकिन इस समय किसी को भी नामित नहीं किया गया है. स्पीकर समेत वर्तमान लोकसभा में 4 दिसंबर तक 543 सदस्य हैं.
सरकार एंग्लो-इंडियन समुदाय से 2 लोगों को लोकसभा के लिए नामित करती है, जो इसे पूरे 545 सदस्यों का हाउस बनाती है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में, एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को नामित किया गया था. लेकिन दूसरे कार्यकाल में अभी तक कोई नामांकन नहीं किया गया है.
SC-ST आरक्षण 10 साल के लिए बढ़ा
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने एससी और एसटी के आरक्षण को अगले 10 साल के लिए बढ़ाने का फैसला लिया है. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एससी और एसटी का आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है. सरकार जारी शीतकालीन सत्र में 25 जनवरी, 2030 तक के लिए आरक्षण बढ़ाने संबंधी बिल लेकर आएगी.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा कि लोकसभा की 543 सीटों में से 84 सीटें अनुसूचित जाति और 47 अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है. जबकि देशभर के सभी राज्य विधानसभाओं में 614 सीट अनुसूचित जाति और 554 सीट अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षित है.