देश के 50 सबसे गंदे शहरों में से 25 पश्चिम बंगाल में हैं. देश भर में स्वच्छता पर केंद्र सरकार द्वारा किए गए 'स्वच्छ सर्वेक्षण' 2018 में यह दावा किया गया है. हालांकि तृणमूल काग्रेस ने इसे खारिज करते हुए राजनीति प्रेरित बताया है. दिलचस्प यह है कि इस सर्वे के अनुसार सबसे गंदा राज्य त्रिपुरा है, जहां हाल तक वामपंथी शासन हुआ करता था.
सर्वे के अनुसार, स्वच्छता के मामले में पश्चिम बंगाल की रैकिंग बेहद खराब है और वह इस मामले में देश के 30 राज्यों में से 28वें स्थान पर है.
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा सर्वे के बाद तैयार सूची में पश्चिम बंगाल को महज 164 अंक हासिल हुए, इस मामले में वह नीचे से देखें तो बस नगालैंड (145) और त्रिपुरा (131) से ही बेहतर है.
यानी इस सूची में सबसे खराब स्थिति त्रिपुरा की है, जहां हाल तक वामपंथी सरकार हुआ करती थी और अब बीजेपी सरकार है. एक लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले जिन 500 शहरी स्थानीय निकायों का सर्वे किया गया, उनमें स्वच्छता के मामले में टॉप 300 की बात करें तो पश्चिम बंगाल का एक भी शहर नहीं है.
राज्य का सबसे स्वच्छ छोटा शहर नॉर्थ 24 परगना जिले का हबरा है जिसकी देश भर में रैकिंग 366 है. राज्य के हुगली जिले में स्थित भद्रेश्वर को देश के सबसे गंदे छोटे शहर का खिताब मिला है और उसे 448.33 पॉइंट मिले हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री सोवनदेब चैटर्जी ने आजतक-इंडिया टुडे से कहा, 'वे लोकसभा चुनाव से पहले राज्य की छवि को खराब करना चाहते हैं. वे यह बताना चाहते हैं कि यह सरकार कुछ नहीं कर रही. लेकिन ममता बनर्जी सफाई को लेकर बहुत गंभीर हैं और जो भी यहां के किसी छोटे शहर में गया होगा, उसने देखा होगा कि इस मामले में कितना काम हो रहा है. यह सर्वे राजनीति से प्रेरित है.'