scorecardresearch
 

रेलवे की तस्वीर बदलने को मोदी सरकार अपनाएगी 'स्विस चैलेंज'

स्विटजरलैंड का नाम लेते ही जेहन में या तो हरी-भरी वादियां उभरती हैं या फिर स्विस बैंक खातों की खबरें, लेकिन अब भूल जाइए स्विस बैंक एकाउंट. मोदी सरकार अब देश के रेलवे स्टेशनों की दशा और दिशा सुधारने के लिए 'स्विस चैलेंज मेथड' का सहारा लेने जा रही है.

Advertisement
X
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

स्विटजरलैंड का नाम लेते ही जेहन में या तो हरी-भरी वादियां उभरती हैं या फिर स्विस बैंक खातों की खबरें, लेकिन अब भूल जाइए स्विस बैंक एकाउंट. मोदी सरकार अब देश के रेलवे स्टेशनों की दशा और दिशा सुधारने के लिए 'स्विस चैलेंज मेथड' का सहारा लेने जा रही है.

Advertisement

स्विस चैलेंज मेथड के जरिए देश के रेलवे स्टेशनों की दशा सुधारने और उनके वर्ल्ड क्लास बनाने के लिए कैबिनेट ने नई नीति को हरी झंडी दे दी. कैबिनेट के आदेश के बाद से देश के सभी ए क्लास रेलवे स्टेशनों के पुनर्निमाण और विकास का कार्य स्विस चैंलेज मैथड के तहत की जाने वाली टेंडरिंग से किया जा सकेगा.

आखिर स्विस चैलेंज मॉडल है क्या?
स्विस चैलेंज मेथड को आप कुछ इस तरह समझ सकते हैं. जैसे कि अगर दिल्ली के किसी स्टेशन को विकसित करने के लिए किसी प्राइवेट कंपनी ने कोई मॉडल पेश करके बोली लगाई तो रेलवे उसे अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करेगा. इसके साथ ही उससे बेहतर मॉडल के साथ कोई दूसरी कंपनी बिडिंग करती है तो उस हालात में सबसे पहले प्रस्ताव देने वाली संस्था से पूछा जाएगा की क्या वो अंतिम मॉडल के तहत काम करने को तैयार है अगर वो तैयार हो गई तो उसे वो काम दे दिया जायेगा.

Advertisement

तैयार नहीं होने पर उसके बाद वाले प्रस्तावक के पास विकल्प होगा. यानि किसी को भी ऐसा ना लगे की उसके साथ भेदभाव किया गया साथ ही सबसे बेहतर विकल्प को लेकर आगे बढ़ा जा सकता है. भारतीय रेलवे अब इसी नीति के तहत अपने सभी ए क्लास स्टेशन, जिनकी संख्या तकरीबन 400 है, उन्हें विकसित करने के लिए टेंडर आमंत्रित करेगा. जिसके बाद इन सभी स्टेशनों का विकास किया जा सकेगा.

Advertisement
Advertisement