पीड़ितों को मुआवजा देने के फैसले पर कोई सरकार कितना गंभीर होती, ये वर्तमान की मोदी सरकार के रवैये से समझा जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पहले सिख दंगा पीड़ितों को 5-5 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की, फिर चुनाव आयोग के सवाल करने पर इनकार किया और अब केंद्रीय कैबिनेट ने महीने भर की उठापटक के बाद 1984 के दंगों के पीड़ितों के लिए पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के निकट संबंधियों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का एक प्रस्ताव बुधवार की रात स्वीकार कर लिया गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केन्द्रीय कैबिनेट की एक बैठक में यह फैसला किया गया. 1984 दंगा पीड़ितों को मुआवजे पर गृह मंत्रालय मौन
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सिख विरोधी दंगा के पीड़ितों के परिवारों को दिये जाने वाला यह मुआवजा सरकार और विभिन्न एजेंसियों से अब तक मिले मुआवजे के अतिरिक्त होगा.
इन दंगों में 3325 लोग मारे गए थे. इनमें से अकेले दिल्ली में 2733 लोग मारे गए. शेष उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मारे गए. पिछले तीन महीनों के दौरान मोदी सरकार को विभिन्न सिख संगठनों से अनेक याचिकाएं मिली थी. सूत्रों ने बताया कि ताजा मुआवजे से सरकारी खजाने पर 166 करोड़ रूपये का बोझ बढ़ेगा.
वर्ष 2006 में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के लिए 717 करोड़ रूपये के एक पैकेज की घोषणा की थी. इसमें दंगे में मारे गए लोगों के परिवार को 3.5 लाख रुपये का मुआवजा के साथ ही घायलों और संपत्ति का नुकसान उठाने वाले लोगों के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया था.
- इनपुट भाषा