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सुप्रीम कोर्ट को सलाह देगी मोदी सरकार- 'जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया सार्वजनिक हो'

सुप्रीम कोर्ट की ओर से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को खारिज करने के बाद अब केंद्र सरकार एक बार फिर अपना पक्ष रखने की कोशिशों में लगी है. सुप्रीम कोर्ट को दिए जाने वाले जवाब में सरकार का प्लान है कि उच्च स्तरीय न्यायिक नियुक्तियों में पूरी पारदर्शिता बरती जाए.

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सुप्रीम कोर्ट की ओर से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को खारिज करने के बाद अब केंद्र सरकार एक बार फिर अपना पक्ष रखने की कोशिशों में लगी है. सुप्रीम कोर्ट को दिए जाने वाले जवाब में सरकार का प्लान है कि उच्च स्तरीय न्यायिक नियुक्तियों में पूरी पारदर्शिता बरती जाए.

सरकार का कहना है कि न्यायिक नियुक्ति से संबंधित जानकारी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की वेबसाइट पर जारी की जाए ताकि सर्वोच्च अदालत के कोलेजियम सिस्टम में ज्यादा पारदर्शिता बरकार रहे.

16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने NJAC को असंवैधानिक घोषित करते हुए कोलेजियम सिस्टम में सुधार के सुझाव मांगे थे. साथ ही मामले की सुनवाई के लिए 3 नवंबर की तारीख तय की.

कानून मंत्रालय ने बुलाई थी बैठक
कोर्ट के इस बड़े फैसले के बाद कानून मंत्रालय ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और निर्णय लिया गया कि कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया जाएगा और सरकार कोर्ट की ओर से सुझाए गए कोलेजियम सिस्टम को सुधारने में विस्तार से बातें रखेगी.

सरकार कर रही है इंतजार
सूत्रों के मुताबिक, सरकार फिलहाल इस बात का इंतजार कर रही है कि यह मुद्दा या तो संसद की स्टैंडिंग कमेटी के पास चला जाए या फिर सेलेक्ट कमेटी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई कदम उठाए. उन्होने बताया, 'संविधान में 99वां संशोधन करके NJAC को संसद में पास कराया गया है और उसे आधे से अधिक राज्यों की भी स्वीकृति मिल चुकी है. अब यह राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है कि ये नियम लागू कराना चाहती हैं या नहीं.'

बता दें कि NJAC को लेकर उठे विवाद के बाद कई हाईकोर्ट में जजों की भर्ती नहीं हो सकी है. देश के 24 हाई कोर्ट्स में 1017 जजों के पद हैं, जिनमें से 384 पद खाली हैं. यह भी एक वजह है कि लगातार अदालतों में केस बढ़ते जा रहे हैं.

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