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मोबाइल फोन से सेहत को कितना नुकसान, पता लगाएगी मोदी सरकार

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय 16 वैज्ञानिक संस्थानों से मोबाइल फोन तरंगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर एक स्टडी कराने जा रही है

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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय 16 वैज्ञानिक संस्थानों से मोबाइल फोन तरंगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर एक स्टडी कराने जा रही है. सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने ये जानकारी रविवार को दी.

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सीओएआई की ओर से जारी बयान के मुताबिक, '2011 में आए अंतरमंत्रालय समिति के एक निर्देश के बाद पहली बार केंद्र सरकार व्यापक स्तर पर यह स्टडी कराने जा रही है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सहयोग देने के लिए संस्थानों से मिले परियोजना प्रस्तावों का चुनाव कर लिया गया है.' स्टडी एम्स, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, NIMHANS, बंगलुरु और अमृतसर का गुरु नानक देव विश्वविद्यालय संस्थान इस स्टडी में शामिल होंगे.

सीओएआई ने बताया कि अध्ययन में प्रमुखत: विद्युत चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव, मस्तिष्क पर उसका प्रभाव, जैव रसायनिक अध्ययन, प्रजनन पैटर्न, पशु और मानव मॉडल की तुलना और उपचारात्मक कदम जैसे विषयों पर अध्ययन किया जाएगा. इसी विषय पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) दिल्ली में 4,500 लोगों के एक लक्षित समूह के साथ अध्ययन कर रहा है और मुंबई में टाटा मेमोरियल सेंटर अध्ययन कर रहा है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सरकार ने 2012 में एक समिति गठित की थी, जिसने तरंग और हैंडसेट पर एक अध्ययन रपट 2014 में सौंपी थी.इस रपट में यह सिफारिश की गई है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को भारतीय परिस्थितियों पर व्यापक अध्ययन कराना चाहिए.

-इनपुट IANS

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