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कांग्रेस की नरमी के बाद जीएसटी बिल इसी सत्र में पास होने की उम्मीद

जीएसटी बिल पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का रुख मानसून सत्र में नरम दिखाई पड़ रहा है. कांग्रेस अपनी मुख्य मांग 18 फीसदी टैक्स रेट पर कैप को संवैधानिक संशोधन में रखने पर नरम पड़ गई है.

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जीएसटी बिल पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का रुख मानसून सत्र में नरम दिखाई पड़ रहा है. कांग्रेस अपनी मुख्य मांग 18 फीसदी टैक्स रेट पर कैप को संवैधानिक संशोधन में रखने पर नरम पड़ गई है. हालांकि कांग्रेस अपनी मांग पर सरकार से टैक्स रेट पर गारंटी का आश्वासन मांग रही है.

सूत्रों के मुताबिक, सरकार की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार के साथ गुलाम नबी आजाद के बीच सकारात्मक बातचीत हुई, जिसमें कांग्रेस में अपना नया रुख सरकार को बता दिया, अब पार्टी को सरकार के जवाब का इंतजार है.

पीएम ने विरोधियों से मिलकर दिए संकेत
दरअसल लोकसभा शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री खुद जाकर सामने बैठीं सोनिया गांधी से मिले, फिर अगली कतार में बैठे मुलायम सिंह समेत तमाम नेताओं से मुलाकात की. वैसे तो ये पीएम का शिष्टाचार था, लेकिन इसके सियासी मायने माने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि पीएम ने विपक्ष को साथ लेकर चलने का संकेत मिया है.

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कांग्रेस की मांगों पर एक नजर
कांग्रेस ने बिल पर अपनी मुख्य मांग में नरमी के संकेत दिए हैं. अब तक कांग्रेस जीएसटी बिल पर अपनी तीन मांगों पर अड़ी थी.
पहला- जीएसटी पर संवैधानिक संशोधन बिल में ही टैक्स रेट का कैप 18 प्रतिशत निर्धारित किया जाए.
दूसरा-
जीएसटी विवादों के निपटारे के लिए प्राधिकरण का गठन हो.
तीसरा- उत्पादक राज्यों पर अतिरिक्त एक फीसदी टैक्स को वापस लिया जाए.

कांग्रेस की इन तीन मांगों की वजह से जीएसटी बिल कई संसद के सत्रों में पारित नहीं हो सका. कांग्रेस के रुख में बदलाव की वजह हाल के चुनावों में कांग्रेस की हार और राजनीतिक रूप से राज्यसभा में पार्टी का कमजोर होना माना जा रहा है.

बीच का रास्ता निकलने की आस
जीएसटी पर कांग्रेस के नए रुख के बाद अगले एक-दो दिन में कांग्रेस नेताओं से वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार का बातचीत करना तय माना जा रहा है. कांग्रेस की पहली और मुख्य मांग पर सरकार की तरफ से तीन विकल्प रखे हैं, या तो जीएसटी रेट को बिल के सहायक नियमों में शामिल किया जा सकता है या फिर जीएसटी रेट की सीमा को जीएसटी बिल में रखा जा सकता है. अगर नहीं तो सरकार कोई मसौदा लाए जिसमें जीएसटी रेट को कानूनी सुरक्षा दी जा सके. सरकार को उम्मीद है कि संसद के मानसून सत्र में सबका सहयोग लेकर बहुप्रतीक्षित जीएसटी बिल को पारित करा लिया जाएगा. लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का इस मामले पर कहना है कि दो मांगों पर तो हमारे और सरकार के बीच करीब-करीब सहमति बन रही है.

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सोनिया गांधी लेंगीं आखिरी फैसला
वहीं माना जा रहा है कि बुधवार को सोनिया जब कांग्रेस संसदीय दल में अपने सांसदों से मुखातिब होंगी, तब जीएसटी पर उनका रुख काफी कुछ तय कर सकता है. जीएसटी एक संवैधानिक संशोधन बिल है. ऐसे में राज्यसभा ऑर्डर में रहे और ज्यादातर लोगों का समर्थन हासिल हो इसलिए सरकार के लिए भी जरूरी है कि उसको कांग्रेस का समर्थन जीएसटी पर हासिल हो. वैसे दोनों पक्षों के ताजा रुख को देखते हुए अभी तक तो इस बिल के इसी सत्र में पास होने के पॉजिटिव संकेत मिल रहे हैं.

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