पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने फरमान जारी किया कि यूपीए काल का कोई भी अफसर या कर्मचारी मौजूदा सरकार प्रणाली का हिस्सा नहीं बनेगा लेकिन महज 2 महीने के भीतर ही अपने दो मंत्रियों के लिए मोदी ने आदेश में बदलाव कर दिया.
पहले फरमान ने देश के गृहमंत्री से उनका सचिव छीन लिया तो दूसरे फरमान ने वित्त मंत्री को अपना सचिव रखने पर राहत दे दी. सत्ता संभालने के 15 दिन बाद 10 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने फरमान जारी किया था कि यूपीए सरकार के दौर के नौकरशाहों को मोदी सरकार में ना रखा जाये. जिसका असर हुआ कि कई मंत्रियो को अपने सेक्रेटरी तक को बदलना पड़ा. गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी अपने चहेते नौकरशाह को नहीं रख पाये. लेकिन तीन दिन पहले महीने भर पहले के फरमान में सुधार कर दिया गया.
पुराना फरमान
8 जुलाई को जारी इस निर्देश मे लिखा गया कि यूपीए सरकार के दौर में लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं पर पहले वाला फरमान लागू नहीं होता है. यानी इस नये आदेश के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने पुराने निजी सचिव को रख सकते है.
8 जुलाई- सुषमा और जेटली को रियायत देने वाला निर्देश
वैसे इस सुधार की जरूरत क्यों पड़ी यह भी सस्पेंस है. हालांकि राजनीतिक गलियारे में माना यही जा रहा है कि अरुण जेटली अपने पुराने सचिव को साथ रखना चाहते थे तो पुराने फरमान को बदलना पड़ा.
वैसे इससे कुछ लाभ उन मंत्रियो को भी हो गया जिन्हें पहले फरमान के बाद ड्राइवर और और पियून तक को बदलना पड़ रहा था क्योंकि थर्ड और फोर्थ ग्रेड के कर्मचारियों की अब छूट मिल गयी है.