लोकसभा में बुधवार को भारी हंगामे के बीच 'आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक-2018’ पेश किया गया. इस बिल में आधार रखने वाले किशोरों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प दिया गया है. निचले सदन में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह विधेयक पेश किया. बिल का विरोध करते हुए टीएमसी के सौगत रॉय, कांग्रेस के शशि थरूर और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह प्रस्तावित कानून आधार से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है और निजता के अधिकार का भी हनन भी है.
कांग्रेस सांसद थरूर ने कहा कि यह विधेयक समयपूर्व है क्योंकि सरकार अब तक डेटा संरक्षण कानून को अमल में नहीं ला सकी जो नागरिकों की निजता की सुरक्षा के लिए जरूरी है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन सदस्यों की आपत्तियों को आधारहीन बताया और कहा कि यह विधेयक कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही लाया गया और इससे आदेश का किसी तरह का उल्लंघन नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि इसमें निजता के अधिकार का भी कोई हनन नहीं होगा क्योंकि इसमें निजता को सुरक्षित रखा गया है. मंत्री ने कहा कि डेटा संरक्षण से जुड़ा विधेयक तैयार है और इसे जल्द लाया जाएगा. साल 2018 में 27 जुलाई को न्यायमूर्ति सेवानिवृत बी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञों की समिति ने अपनी एक रिपोर्ट प्रस्तुत की और आधार अधिनियम में कुछ संशोधन सुझाए थे.
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक खंडपीठ ने न्यायमूर्ति के एस पुट्टास्वामी (सेवानिवृत) और अन्य बनाम भारतीय संघ एवं अन्य के निर्णय में 24 अगस्त 2017 को निजता को संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन मूल अधिकार घोषित किया गया है. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट 26 सितंबर 2018 फैसले के जरिए कुछ निर्वधनों एवं परिवर्तनों के साथ अधिनियम की संवैधानिक वैधता की पुष्टि करता है.
इसमें कहा गया है कि 122 करोड़ से अधिक आधार संख्या जारी किये जाने तथा भारत सरकार, राज्य सरकारों एवं अन्य अस्तित्वों द्वारा विभिन्न प्रयोजनों के लिये पहचान के सबूत के रूप में आधार के वृहद उपयोग को ध्यान में रखते हुए आधार के प्रचालन के लिये विनियामक ढांचा होना जरूरी है. इसलिए प्राधिकरण के पास प्रवर्तन कार्रवाई करने के लिये विनियामक शक्तियां होनी चाहिए.
इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि आधार संख्या धारण करने वाले किशोरों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प होगा. ऑफलाइन सत्यापन या किसी अन्य ढंग से भौतिक या इलेक्ट्रानिक रूप में आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग के लिये उपबंध करना, आधार संख्या के ऑफलाइन सत्यापन का अधिप्रमाणन केवल आधार संख्या धारक की सूचित सहमति से किया जा सकता है. इसमें निजी अस्तित्वों की ओर से आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा को खत्म करने का प्रावधान भी शामिल है.