इन दिनों सोशल मीडिया अफवाह फैलाने का सबसे बड़ा टूल बनता जा रहा है. इस प्लेटफॉर्म का इजाद लोगों को एकदूसरे से जोड़ने के लिए और समाज में मेलमिलाप बढ़ाने के लिए किया गया था लेकिन कुछ लोगों की दूषित मानसिकता के चलते यह दुर्भावना और वैमनस्यता फैलाने का हथियार बनता जा रहा है. इस बात को भांपते हुए केन्द्र की मोदी सरकार ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर प्रोपेगेंडा फैलाने वालों पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है. उम्मीद है कि केन्द्र सरकार जल्द ही नई सोशल मीडिया पॉलिसी ला सकती है.
फेसबुक, व्हॉट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए चलाए जा रहे देश विरोधी प्रोपेगेंडा पर नकेल कसने के लिए अब केन्द्र सरकार नई सोशल मीडिया पॉलिसी लाने की तैयारी में है.
22 जून को इस पर गृह मंत्रालय में एक बड़ी बैठक हुई जिसमें इस प्लान को कैसे लाना है उसको लेकर मीटिंग की गई. गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में गृह मंत्रालय और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी मौजूद थे.
सोशल मीडिया पॉलिसी को लेकर हुई इस मीटिंग में कई मुद्दों पर चर्चा की गई है. जिसमें ये भी चर्चा की गई कि वर्तमान समय में सिर्फ कुछ 'डूज' और 'डोन्टर' ही सोशल मीडिया में एन्टी इंडिया प्रोपेगेंडा रोकने के लिए मौजूद हैं. इसको कैसे सशक्त और प्रभावी करना होगा इस पर भी चर्चा हुई है.
सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा को फैलाने वालों पर कानूनी शिकंजा कैसे कसा जा सकता है उस पर भी चर्चा हुई कि क्या अलग से एन्टी इंडिया प्रोपेगेंडा फैलाने वालों के लिए कानून लाया जाए या मौजूदा कानून में बदलाव कर उसको मजबूत किया जाए. वजह ये है कि अभी जो कार्रवाई ऐसे लोगों पर होती हैं, उसके लिए सिर्फ IT एक्ट और IPC के तहत ही होती हैं. लेकिन इन दोनो कानूनों में सोशल मीडिया का सीधे-सीधे कोई जिक्र नहीं है.
आने वाले दिनों में केंद्र सरकार इस नए सोशल मीडिया पॉलिसी को लेकर और भी मीटिंग कर सकती है उसके बाद ही तय होगा कि कैसे इस पॉलिसी को लाना है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक minusts of meeting तैयार होने के बाद पूरी पॉलिसी को गृह मंत्री के समक्ष रखा जाएगा. अंतिम फैसला गृहमंत्री को ही लेना है.