मानसून सत्र के दौरान संसद में गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा, वहीं सोमवार को सदन में तख्ती लेकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नारेबाजरी करने वाले 27 सांसदों को 5 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है. निलंबित सांसदों में अधिकतर कांग्रेस के हैं. इनमें सुष्मिता देव, गौरव गोगोई, केसी वेणुगोपाल शामिल हैं.
सदन में कार्यवाही नहीं चलने देने को लेकर विपक्ष अपनी जिद पर अड़ी है. सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक भी फेल हो गई है. सोमवार को बैठक में विपक्ष ने साफ कर दिया कि वह दागियों के इस्तीफे से कम पर मानने वाला नहीं है. हालांकि सरकार की ओर से मुद्दों पर चर्चा की पेशकश भी की गई, लेकिन बैठक कुल मिलकार फेल रही!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक से किनारा किया, जबकि पहले चर्चा थी कि वह हिस्सा लेंगे. सरकार की ओर से वेंकैया नायडू और राजनाथ सिंह के कंधों पर विपक्ष को मनाने का भार था. लेकिन विपक्ष ने उनकी एक न सुनी. बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, 'हमने सोनिया जी से सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की थी. हम हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं. हमें काम करने का मौका नहीं दिया जा रहा. लोग अपने मुद्दों के बारे में पूछ रहे हैं.'
कांग्रेस की ओर मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी लाइन पर चलते हुए कहा कि जब तक सरकार दागियों का इस्तीफा नहीं लेती, हम विरोध करते रहेंगे. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विपक्ष सिर्फ हंगामा खड़ा करना चाहती है. सरकार हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है.
दोनों सदनों में जमकर हुआ हंगामा
इससे पहले राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. राज्यसभा की कार्यवाही को हंगामे के कारण करीब घंटे भर के लिए दो बार स्थगित करना पड़ा, जबकि बाद में उसे दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया. विपक्ष ने राज्यसभा में सुषमा के बयान पर भी घोर आपत्ति जताई. उप-सभापति से बयान को रिकॉर्ड न लेने की अपील भी की गई है.
सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी ने आक्रामक तेवर अपना लिए हैं. कांग्रेस सांसद काली पट्टी बांधकर सदन में पहुंचे हैं और हंगामा कर रहे हैं. विपक्ष सरकार से सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग कर रहा है. हंगामे और विवाद के बीच प्रधानमंत्री बयान दे सकते हैं. फिलहाल, राज्यसभा की कार्यवाही को पहले 12 बजे तक के लिए जबकि दोबारा हंगामे के कारण 2 बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.
सुषमा बोलीं- मैं चर्चा के लिए तैयार
राज्यसभा में भी कार्यवाही शुरू होते ही 'काम नहीं तो वेतन नहीं' के मुद्दे पर हंगामा शुरू हो गया. विपक्ष की ओर से यह मुद्दा उठाया गया है. स्पीकर ने सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की, जिसके जवाब में कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि सदन की कार्यवाही विपक्ष की वजह से नहीं बल्कि सरकार के रवैये के कारण बाधित हो रही है. इसी बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खड़े होकर कहा कि विपक्ष बेवजह हंगामा कर रही है, जबकि वह बीते कई हफ्तों से चर्चा के लिए तैयार हैं.
सुषमा ने कहा, 'मैं बीते कई हफ्तों से चर्चा के लिए तैयार हूं. लेकिन विपक्ष की मंशा चर्चा करने की है ही नहीं. वह तो बस हंगामा करना चाहती है. मुझ पर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं. कांग्रेस ने जिन तथ्यों के आधार पर नोटिस दिया है, वह तथ्य पूरी तरह निराधार हैं. मैंने कभी ललित मोदी की सिफारिश नहीं की. मैं बयान देने के लिए तैयार हूं.'
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस बाबत ट्वीट भी किया है.
जिन तथ्यों पर नोटिस दिए जा रहे हैं वो तथ्य पूरी तरह असत्य हैं. पूरी तरह निराधार है.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) August 3, 2015
मैने ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज़ देने के लिए ब्रिटिश सरकार से कभी रिक्वेस्ट नहीं की. यात्रा दस्तावेज़ देने के लिए कभी सिफारिश नहीं की.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) August 3, 2015
I never requested and never recommended to British Government to give travel documents to Lalit Modi.,
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) August 3, 2015
लोकसभा में इससे पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और वीरप्पा मोइली ने स्थगन प्रस्ताव दिया, जिसे स्पीकर सुमित्रा महाजन ने खारिज कर दिया. इसके बाद विपक्ष ने हंगाम शुरू कर दिया. लोकसभा में 'भाषणबाजी बंद करो' के नारे लगाए गए. संसद का मानसून सत्र अपने शबाब पर है, लेकिन सदन में काम कम और हंगामा ज्यादा हो रहा है. ललित मोदी और व्यापम मुद्दा केंद्र के लिए गले की फांस बना हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सोमवार को संसद भवन पहुंचे. विपक्ष की जिद और संसद में गतिरोध खत्म करने के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. मीटिंग में कांग्रेस भी शामिल होगी. सर्वदलीय बैठक से पहले प्रधानमंत्री अपने शीर्ष मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो गतिरोध खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री सदन में बयान दे सकते हैं.
वेंकैया ने कहा, 'अगर ऑल पार्टी मीटिंग में विपक्ष मांग करेगा तो प्रधानमंत्री बयान दे सकते हैं.' संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो चुका है, जबकि कांग्रेस और वामदल पहले दिन से ही आक्रामक तेवर अपनाए हुए है. विरोधी दल शुरू से पीएम के बयान की मांग उठा रहे हैं.
कांग्रेस ने बुलाई संसदीय दल की बैठक
सत्र में अपनी रणनीति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक से पहले कांग्रेस ने भी संसदीय दल की बैठक बुलाई. बैठक में सोनिया और राहुल गांधी के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे. बैठक में फैसला किया गया कि जब तक सरकार विपक्ष के मांगों को पूरा नहीं करती विरोध जारी रहेगा.
दूसरी ओर, सरकार और बीजेपी सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग स्वीकार करने के कोई संकेत नहीं दे रही हैं. कांग्रेस और वाम सहित विपक्षी दल जहां ‘इस्तीफा नहीं, तब तक कोई चर्चा नहीं’ पर अड़े हुए हैं, वहीं बीजेपी नेता और मंत्री लगातार यह कह रहे हैं कि कोई इस्तीफा नहीं होगा और सरकार विपक्ष को ‘उपकृत’ करने नहीं जा रही है.
इस्तीफा नहीं तो काम नहीं
इस बीच, जेडीयू ने फिर कहा है कि मंत्रियों के इस्तीफे के बिना काम नहीं होने देंगे. जेडीयू के नेता और सांसद केसी त्यागी ने कहा कि संसद में अगर सरकार को कामकाज सुचारू बनाना है तो आरोपों में घिरे मंत्रियों के इस्तीफे दिलवाने होंगे.