केंद्र सरकार ने आम आदमी के पैसे को धोखाधड़ी से बचाने के उद्देश्य से कुछ नए नियमों पर काम करने की योजना बनाई है. गरीबों को बैंकिंग की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार कोशिश कर रहे हैं.
सरकार की योजना है कि आम आदमी से अनैतिक रूप से पैसे जमा करने वालों पर नकेल कसी जाए. ऐसे लोग फर्जी योजनाओं के जरिए लोगों का पैसा इकट्ठा करते हैं और बड़ा मुनाफा कमाते हैं.
सहारा मामले से लिया सबक
इसका सबसे अहम उदाहरण सहारा योजना है. कंपनी के प्रमुख सुब्रत रॉय पर अनैतिक रूप से लोगों का पैसा जमा करने और गबन करने का आरोप लगा, जिसके बाद उन्हें 2014 में जेल भेज दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया था. लेकिन जब वह पैसा नहीं लौटा पाए तो उन्हें जेल भेज दिया गया. कोर्ट ने सहारा को 5.4 बिलियन डॉलर लौटाने को कहा था.
...ताकि भविष्य में न डूबे गरीबों का पैसा
वित्त मामलों की संसदीय कमेटी के सदस्य निशिकांत शर्मा ने कहा, 'हमारा उद्देश्य है कि ऐसे नियम बनाए जाएं जिससे भविष्य में सहारा जैसे फ्रॉड न हो सकें.'
जुलाई में लाया जाएगा विधेयक
इस मामले में केंद्र सरकार जुलाई में विधेयक संसद में पेश करेगी, जिसमें कमजोर बिलों को खत्म कर नए बिल को लागू करने का प्रावधान होगा. जो गरीब तबके के पैसों को डूबने से बचाने की दिशा में एक कदम होगा.