मुंबई-अहमदाबाद के बाद देश में दूसरी बुलेट ट्रेन दिल्ली, चंडीगढ़ और अमृतसर के बीच दौड़ेगी. नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए न सिर्फ तैयारी शुरू कर दी है, बल्कि इसे आठ वर्षों में यानी 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य भी तय कर लिया है. इस परियोजना में एक लाख करोड़ रुपये का खर्चा आएगा.
सरकार ने तय किया है कि वह इस बुलेट ट्रेन को पीपीपी मोड में न चलाकर अपने खर्चे से चलाएगी. ये बातें दिल्ली-अमृतसर के बुलेट ट्रेन के लिए रेल मंत्रालय को सौंपी गई फिजीबिलिटी रिपोर्ट में कही गई हैं. रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने बताया कि यह रिपोर्ट फ्रांस की कंपनी सिस्टा और भारतीय रेलवे की पीएसयू राइट्स ने मिलकर तकरीबन डेढ़ साल में तैयार की है. इस ओर फाइनल रिपोर्ट मई के दूसरे हफ्ते तक तैयार कर ली जाएगी.
350 किमी की रफ्तार इस रूट पर दौड़ेगी ट्रेन
सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली-अमृतसर के बीच बुलेट ट्रैक सोनीपत, पानीपत, अंबाला, चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर होते हुए बिछाई जाएगी. इस रेलवे लाइन की लंबाई 458 किलोमीटर होगी. जबकि इस ट्रैक पर दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन की रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 350 किलोमीटर प्रति घंटे रखी जाएगी.
शताब्दी के बराबर होगा किराया
खास बात यह है कि दिल्ली-अमृतसर के बीच दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन को स्टैंडर्ड गेज पर चलाए जाने की सिफारिश की गई है. यही नहीं, इस बुलेट ट्रेन का किराया भी शताब्दी ट्रेन के प्रथम श्रेणी के किराए के बराबर रखे जाने की सिफारिश की गई है. रेलवे मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, सरकार की तरफ से दिल्ली, चंडीगढ़ और अमृतसर के बीच बुलेट ट्रेन चलाने को लेकर काम तेजी से शुरू करने और समय पर खत्म करने का दबाव है. लिहाजा मई के दूसरे हफ्ते में अंतिम रिपोर्ट पेश होने के बाद इस परियोजना पर काफी तेज गति से काम आगे बढ़ेगा.