कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि 2002 में गुजरात दंगे भड़काने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार जिम्मेदार है जबकि कांग्रेस सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को रोकने की कोशिश की थी. हालांकि राहुल ने 84 के दंगों पर कोई अफसोस नहीं जताया.
आगामी लोकसभा चुनाव में एक तरह से मोदी के प्रतिद्वंद्वी माने जा रहे राहुल ने कहा कि वह मोदी से डरे हुए नहीं हैं और कांग्रेस बीजेपी को परास्त करेगी.
'2002 के दंगों में गुजरात की सरकार शामिल थी'
मोदी पर सीधा प्रहार करते हुए राहुल ने कहा, ‘सचाई यह है कि 1984 में बेगुनाह लोग मारे गये और बेगुनाहों का मारा जाना भयावह चीज है जो नहीं होना चाहिए. गुजरात और 1984 में अंतर यह है कि 2002 के दंगों में गुजरात की सरकार शामिल थी.’ एक न्यूज चैनल पर इंटरव्यू के दौरान जब राहुल से पूछा गया कि जब अदालत ने मोदी को क्लीन चिट दे दी है तो वह उन्हें जिम्मेदार क्यों ठहरा रहे हैं, इस पर कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, ‘गुजरात के दंगे जब हुए तब वह मुख्यमंत्री थे. गुजरात सरकार दरअसल दंगों को और भड़का और बढ़ा रही थी.’ दिल्ली के सिख विरोधी दंगों और गुजरात के दंगों में सरकारों की भूमिका के अंतर को रेखांकित करते हुए राहुल ने कहा, ‘साधारण सा अंतर यह है कि 1984 में सरकार जनसंहार में शामिल नहीं थी. गुजरात में वह शामिल थी.’ उन्होंने कहा कि 1984 में कांग्रेस सरकार दंगों को भड़का नहीं रही थी या उनमें मदद नहीं कर रही थी बल्कि सरकार ने हिंसा को रोकने की कोशिश की थी.
जब राहुल से फिर से जोर देकर पूछा गया कि वह गुजरात दंगों पर मोदी पर निशाना कैसे साध सकते हैं तो उन्होंने कहा, ‘यह मैं नहीं, बड़ी संख्या में लोगों ने देखा कि दंगों में गुजरात सरकार सक्रियता से शामिल थी.’
'1984 के दंगों के लिए माफी मांगेंगे की जरूरत नहीं'
राहुल ने कहा, ‘मेरा मतलब यह है कि लोगों ने इसे देखा. मैं उन लोगों में नहीं हूं जिन्होंने इसे देखा. आपके सहयोगियों ने इसे देखा. आपके सहयोगियों ने मुझे बताया. उन्होंने प्रशासन को सक्रिय रूप से अल्पसंख्यकों पर हमला करते हुए देखा.’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह 1984 के दंगों के लिए माफी मांगेंगे, या वह यह महसूस करते हैं कि इसकी कोई जरूरत नहीं है, राहुल ने कहा, ‘सबसे पहले, मैं इन दंगों में बिल्कुल भी शामिल नहीं था. ऐसा नहीं था कि मैं इसका हिस्सा था.’ इसी के साथ उन्होंने स्वीकारा, ‘कुछ कांग्रेसी लोग 1984 के सिख विरोधी दंगों में संभवत: संलिप्त थे और इसके लिए उन्हें सजा दी गई है.’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस पार्टी की ओर से माफी मांगेंगे, उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि ये दंगे, सभी दंगों की तरह डरावनी घटना थी. खुलकर कहूं तो मैं कांग्रेस पार्टी के क्रियाकलापों (ऑपरेशन) में शामिल नहीं था.’ राहुल से पूछा गया कि क्या वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस नजरिये से सहमत हैं कि मोदी ने अहमदाबाद की सड़कों पर निर्दोषों के ‘नरसंहार’ का नेतृत्व किया, उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री जो कह रहे हैं वह तथ्य है. गुजरात में यह हुआ और लोग मारे गये.’
क्या राहुल मोदी की चुनौती स्वीकार करने से बच रहे हैं?
यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनकर मोदी से सीधी टक्कर से बच रहे हैं, राहुल ने कहा, ‘यह सवाल समझने के लिए, आपको कुछ समझना पड़ेगा, राहुल गांधी कौन हैं और फिर इस सवाल का आपको उत्तर मिलेगा कि राहुल गांधी किससे डरते हैं और किससे नहीं.’ बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर उनका नजरिया पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है, हम अगले चुनावों में बीजेपी को हराएंगे. मैं चुनाव जीतूंगा. मैं तार्किक रूप से आश्वस्त हूं.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस ‘जंग के लिए तैयार’ है और ‘जीतने वाली’ है.
'हार की लूंगा जिम्मेदारी'
यह पूछे जाने पर कि अगर कांग्रेस चुनाव नहीं जीतती है तो क्या वह इसकी जिम्मेदारी लेंगे, राहुल ने कहा, ‘अगर हम नहीं जीते, मैं पार्टी का उपाध्यक्ष हूं, मैं जिम्मेदारी लूंगा.’ मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर उन्होंने कहा, ‘बीजेपी सत्ता को एक व्यक्ति के पास केन्द्रित करने में विश्वास रखती है. मैं इससे मौलिक रूप से असहमत हूं. मैं लोकतंत्र में विश्वास रखता हूं. मैं व्यवस्था को खोलने में विश्वास रखता हूं. हमारा सिद्धांत मौलिक रूप से भिन्न है.’
इस पर, सवाल पूछने वाले एंकर ने कहा कि राहुल गांधी ने यह सवाल पूरी तरह से टाल दिया है कि वह प्रधानमंत्री पद के लिए तैयार हैं या नहीं और क्या वह मुश्किल चुनौती से बच रहे हैं. राहुल गांधी ने जवाब में एआईसीसी बैठक में अपने भाषण का संदर्भ देते हुए कहा कि चुनावों से पहले प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना ‘अपने सांसदों से पूछे बगैर अपना प्रधानमंत्री घोषित करना है और ऐसा संविधान में नहीं लिखा है.’ इस पर, उनसे सवाल किया कि आपने 2009 में ऐसा किया. राहुल ने कहा, नहीं, हमने ऐसा नहीं किया.
लेकिन एंकर ने जोर देते हुए कहा कि आपने ऐसा किया था. राहुल ने जवाब दिया कि वर्ष 2009 में हमारे पास तत्कालीन प्रधानमंत्री थे. प्रधानमंत्री ने चुनाव जीता. सांसदों ने फैसला किया कि प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे.
वह आरटीआई के दायरे में राजनीतिक दलों को लाने के सवालों का टाल गये और उन्होंने कहा कि संसद को यह फैसला करना चाहिए कि अगर राजनीतिक दलों की इस पर सर्वसम्मति है. उन्होंने कहा कि मेरी राय यह है कि ज्यादा खुलापन, बेहतर होगा.
'जब भी भ्रष्टाचार हुआ है, पार्टी ने कार्रवाई की है'
यह पूछे जाने पर कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को एक न्यायिक आयोग द्वारा दोषी ठहराने के बावजूद कांग्रेस उन्हें क्यों बचा रही है, राहुल ने कहा कि जब भी भ्रष्टाचार हुआ है, पार्टी ने कार्रवाई की है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कैबिनेट द्वारा न्यायिक आयोग के निष्कर्ष खारिज किये जाने के बाद चव्हाण पर मैंने अपनी स्थिति स्पष्ट की.
'बीजेपी, सपा, द्रमुक और कांग्रेस हर जगह है वंशवाद'
हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर उन्होंने कहा, ‘एक कानूनी प्रक्रिया होती है इसका अनुसरण कीजिए और इसे पूरा कीजिए.’ राजनीति में वंशवाद से जुड़े सवालों पर राहुल ने कहा कि उन्होंने कहा है कि वह ‘वंशवाद की संकल्पना के पूरी तरह से खिलाफ हैं. लेकिन यह बीजेपी, सपा, द्रमुक और कांग्रेस हर जगह है.’ उन्होंने कहा कि उन पर निजी हमले किये जाते हैं क्योंकि वह ऐसी चीजें कर रहे हैं जो व्यवस्था के लिए खतरा हैं.